बेंगलुरु में भगदड़ के बाद सीएम और डिप्टी सीएम के खिलाफ शिकायत दर्ज, भाजपा ने मांगा इस्तीफा, सियासी विवाद बढ़ा

बेंगलुरु। आईपीएल 2025 की विजेता बनी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की जीत का जश्न बेंगलुरु में एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गया। शहर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित विजयी परेड के दौरान उमड़ी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 33 लोग घायल हो गए। इस हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है और राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है।
घटना की शुरुआत और भीड़ की बेकाबू स्थिति
स्टेडियम में फ्री पास के जरिए एंट्री की व्यवस्था की गई थी। जैसे ही इसकी घोषणा हुई, हजारों लोगों ने आरसीबी की वेबसाइट से पास लेने की कोशिश की, लेकिन वेबसाइट जल्द ही क्रैश हो गई। इसके बाद कई लोग बिना पास के भी स्टेडियम पहुंच गए। शुरुआती अनुमान के अनुसार, आयोजकों और प्रशासन को भीड़ के सही आकलन में भारी चूक हुई। भीड़ ने जबरन गेट नंबर 12, 13 और 10 पर घुसने की कोशिश की। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, इसी दौरान नाले पर रखा स्लैब ढह गया और हल्की बारिश के बीच भगदड़ मच गई।
हादसे में गई युवाओं की जान
एबीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार, मृतकों में पांच महिलाएं और छह पुरुष शामिल हैं, जिनकी उम्र 13 से 33 वर्ष के बीच है। मौत का कारण सिर, रीढ़ और पेट में गंभीर चोटें रहा। घायलों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका क्योंकि भीड़ के कारण एंबुलेंस तक अंदर नहीं पहुंच पाई। कई जगह लोगों को सड़क पर ही CPR देना पड़ा।
सरकार पर लापरवाही के आरोप
इस घटना के बाद सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कब्बन पार्क थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आईपीसी की धारा 106 के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। आम आदमी पार्टी कर्नाटक के युवा अध्यक्ष लोहीत हनुमनपुरा ने भी इसी मामले में शिकायत दर्ज करवाई है और स्टेडियम तथा कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के सीईओ पर कार्रवाई की मांग की है।
राजनीतिक घमासान और इस्तीफे की मांग
हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे इस हादसे का बचाव नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश में पहले भी बड़े आयोजन में ऐसे हादसे हो चुके हैं, जैसे कुंभ मेले में 50-60 लोगों की मौत। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसका मतलब यह नहीं कि सरकार जिम्मेदारी से भागे। वहीं, भाजपा ने सरकार की इस लापरवाही को लेकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
पुलिस बल की थकान और सुरक्षा की चूक
सरकारी बयान के अनुसार, कार्यक्रम में लगभग 5 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात थे, लेकिन भीड़ की संख्या इससे कई गुना अधिक थी। सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकतर पुलिसकर्मी पिछले 36 घंटे से लगातार ड्यूटी पर थे, जिससे उनकी सतर्कता और कार्यक्षमता पर असर पड़ा।
जश्न की जगह मातम
यह हादसा राज्य के लिए एक बड़ा झटका है, जहां जीत का जश्न जानलेवा बन गया। प्रशासनिक और आयोजन स्तर पर कई गंभीर चूकें सामने आई हैं। अब यह देखना बाकी है कि जांच में किन-किन को जिम्मेदार ठहराया जाता है और क्या इस घटना से राज्य की राजनीतिक तस्वीर में कोई बड़ा बदलाव आता है। यह हादसा केवल एक आयोजन की असफलता नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर गंभीर चेतावनी भी है।

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