November 17, 2025

सीएम के खिलाफ मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में परिवाद दर्ज, 28 मार्च को होगी सुनवाई

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में एक परिवाद दायर किया गया है। यह मामला कांटी थाना क्षेत्र के सरमस्तपुर निवासी सूरज कुमार द्वारा दायर किया गया है। परिवाद में आरोप लगाया गया है कि 20 मार्च को पटना स्थित रेल परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान गाया जा रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वहां उपस्थित अन्य लोगों के साथ व्यवधान उत्पन्न किया। इस मामले को राष्ट्रगान सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस शिकायत को लेकर सूरज कुमार के वकील अरविंद कुमार गुप्ता ने अदालत में परिवाद दाखिल किया, जिसकी सुनवाई के लिए अदालत ने 28 मार्च की तिथि निर्धारित की है। इस घटना को लेकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री के इस कथित कृत्य की निंदा की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जबकि भाजपा के दो उप मुख्यमंत्री भी इस विषय पर चुप हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। इसके विरोध में राजद ने घोषणा की है कि 23 मार्च को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया जाएगा। इस मुद्दे को लेकर बिहार विधानसभा में भी हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए और मुख्यमंत्री से सफाई की मांग की। विधानसभा के भीतर और बाहर जमकर नारेबाजी हुई। राजद ने इसे राष्ट्रगान का अपमान करार देते हुए सरकार पर हमला किया, जबकि भाजपा ने भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री की आलोचना की। इस आरोप पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने पलटवार किया है। जदयू के नेताओं ने कहा कि विपक्ष को अपने इतिहास को देखना चाहिए। जदयू के एमएलसी ने कुछ तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि 2002 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं, तब पटना के गांधी मैदान में झंडोत्तोलन के दौरान राष्ट्रगान हो रहा था, लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी बैठे हुए थे। इसके अलावा, 1997 की एक घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय मुख्यमंत्री लालू यादव ने तिरंगा झंडा उल्टा फहरा दिया था। इस पूरे विवाद के चलते बिहार का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्ष जहां मुख्यमंत्री पर हमलावर है, वहीं जदयू इसे विपक्ष का प्रोपेगेंडा बता रहा है। जदयू नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वतंत्रता सेनानी के बेटे हैं और वे राष्ट्रगान का अपमान नहीं कर सकते। इसके विपरीत, विपक्ष इसे लेकर आक्रामक बना हुआ है और लगातार सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। अब देखना यह होगा कि 28 मार्च को अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं किस दिशा में जाती हैं।

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