CM नीतीश बोले- DGP लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में एक बार करें नियमित समीक्षा
* मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुयी एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक
* डीएम-एसपी जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा कर पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान करायें सुनिश्चित

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गुरूवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक हुयी। यह बैठक साढ़े चार घंटे से भी अधिक समय तक चली। बैठक में अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विगत बैठक की कार्यवाही एवं अनुपालन की विस्तृत जानकारी दी।
जनप्रतिनिधियों को अवगत करायें
समीक्षा के दौरान सीएम नीतीश ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जो बातें सामने रखीं गई हैं, उसका एक पक्ष इस अधिनियम के अंतर्गत की जा रही कार्यवाही के संबंध में है तो दूसरा पक्ष अनुसूचित जाति-जनजाति के हित में किये जा रहे कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने को लेकर है। एससी-एसटी कल्याण विभाग संबंधित विभागों को जनप्रतिनिधियों द्वारा रखी गयी समस्याओं एवं सुझावों से अवगत कराये ताकि उस पर तेजी से अमल हो सके। विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में भी जनप्रतिनिधियों को अवगत करायें।
डीजीपी लंबित कांडों के अनुसंधान की समीक्षा करें
मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस महानिदेशक सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में कम से कम एक बार नियमित समीक्षा करें ताकि मामलों का निष्पादन तेजी से हो सके। डीजीपी एससी-एसटी अधिनियम के तहत अधिसूचित कार्यों की समीक्षा करें तथा विशेष अभियान चलाकर लंबित कांडों का अनुसंधान कराकर निर्धारित 60 दिन के अंदर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कराएं। कनविक्शन रेट बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समाज के कमजोर वर्ग के सभी व्यक्तियों को ससमय न्याय मिल सके। डीएम एवं एसपी जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा कर पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करायें। जिला स्तर पर गठित सतर्कता एवं मॉनिटरिंग समिति के कार्यकलापों भी समीक्षा करें।

कनविक्शन रेट में सुधार लाएं
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विशेष लोक अभियोजकों की कार्य क्षमता की समीक्षा करें और योग्य विशेष लोक अभियोजकों को दायित्व सौंपे ताकि वे न्यायालय में बेहतर ढंग से पक्ष रख सकें। इस अधिनियम के तहत दर्ज कांडों के त्वरित निष्पादन हेतु 9 अनन्य विशेष न्यायालयों के गठन की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूर्ण करें, ताकि इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई हो। अत्याचार होने पर घटना स्थल का निरीक्षण निश्चित रूप से हो। अगर संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो वरीय अधिकारी जाकर स्थल निरीक्षण करें। गृह विभाग एवं विधि विभाग कनविक्शन रेट में सुधार एवं लंबित मामलों में कमी लाने के लिए नियमित अनुश्रवण करे। चिकित्सा जांच प्रतिवेदन ससमय प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करें। डीएम एवं एसपी अपने-अपने जिलों में कनविक्शन रेट में कमी और स्पीडी ट्रायल में सुधार लाने को लेकर लगातार समीक्षा करें। विधि विभाग यह सुनिश्चित करें कि गवाह ससमय कोर्ट पहुंचे और उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जिलास्तर पर अत्याचार के पीड़ित व आश्रितों को राहत अनुदान की स्वीकृति तत्काल दी जाय।
बैठक में हुए शामिल
बैठक में शामिल सदस्यों ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के कार्यों और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए जो सुझाव दिये, विभाग उस पर भी तेजी से काम करे। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक जीतन राम मांझी, मंत्री संतोष कुमार सुमन, रामप्रीत पासवान, सुनील कुमार, विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, सांसद विजय कुमार, सांसद आलोक कुमार सुमन सहित अन्य विधायक उपस्थित थे, जबकि दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सांसद प्रिंस राज भी जुड़े हुए थे।
ये रहे मौजूद
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, एससी-एसटी विभाग के सचिव दिवेश सेहरा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, निदेशक अभियोजन, प्रभुनाथ सिंह, सचिव विधि फूलचंद्र चौधरी, अपर पुलिस महानिदेशक, कमजोर वर्ग, अनिल कुमार यादव सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

