November 12, 2025

मतगणना से पहले महावीर मंदिर पहुंचे सीएम, हाईकोर्ट की मजार पर भी की दुआ, अमन चैन के लिए की प्रार्थना

  • पटना साहिब गुरुद्वारे में भी पहुंचे नीतीश, धार्मिक स्थानों पर की प्रार्थना, जीत का मांगा आशीर्वाद

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों का मतदान संपन्न होने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को राजधानी पटना के धार्मिक स्थलों के दौरे पर निकले। उन्होंने महावीर मंदिर में पूजा-अर्चना की, पटना साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेका और फिर हाईकोर्ट के पास स्थित मजार पर जाकर अमन और चैन के लिए दुआ मांगी। इस पूरे धार्मिक दौरे ने न केवल उनके समर्थकों का ध्यान खींचा, बल्कि सियासी हलकों में भी चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
पूजा और प्रार्थना से दिन की शुरुआत
बुधवार सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले पटना जंक्शन स्थित प्रसिद्ध महावीर मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान हनुमान की विधिवत पूजा-अर्चना की और राज्य में शांति, सौहार्द और समृद्धि की कामना की। मंदिर के पुजारियों ने मुख्यमंत्री को विधि-विधान से पूजा कराई। पूजा के बाद उन्होंने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं का अभिवादन भी किया। महावीर मंदिर में पूजा के बाद नीतीश कुमार पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचे। यहां उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और प्रदेश में आपसी भाईचारा और सद्भावना बनाए रखने की प्रार्थना की। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और उन्हें सरोपा भेंट किया। इसके बाद मुख्यमंत्री हाईकोर्ट स्थित एक प्रसिद्ध मजार पहुंचे, जहां उन्होंने अमन-चैन और राज्य के कल्याण के लिए दुआ मांगी। नीतीश कुमार ने चादर चढ़ाई और कुछ देर मौन होकर बैठे रहे।
सर्वधर्म समभाव का प्रतीक बना मुख्यमंत्री का दौरा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह धार्मिक दौरा उनके राजनीतिक जीवन की उस पहचान को फिर से रेखांकित करता है, जिसके लिए वे जाने जाते हैं — सर्वधर्म समभाव और सामाजिक एकता के समर्थक नेता के रूप में। उन्होंने तीन अलग-अलग धर्मस्थलों — मंदिर, गुरुद्वारा और मजार — का दौरा करके एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश की कि बिहार की राजनीति केवल विकास की नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और एकता की भी राजनीति है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव परिणामों से ठीक पहले मुख्यमंत्री का यह कदम केवल व्यक्तिगत आस्था तक सीमित नहीं है। यह एक राजनीतिक संदेश भी है — कि नीतीश कुमार अभी भी ‘समानता और सद्भाव’ के प्रतीक के रूप में अपनी छवि को बनाए रखना चाहते हैं।
सियासी गलियारों में चर्चा
जैसे ही नीतीश कुमार का यह धार्मिक दौरा शुरू हुआ, राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा होने लगी। कई विश्लेषक इसे “आस्था और रणनीति का संगम” बता रहे हैं। वोटिंग खत्म होने के बाद ऐसे समय में जब एग्जिट पोल्स सामने आए हैं और सियासी माहौल गर्म है, मुख्यमंत्री का धार्मिक स्थलों का यह दौरा अपने आप में एक सधे हुए राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, जब पत्रकारों ने उनसे एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर सवाल पूछा, तो नीतीश कुमार ने मुस्कुराते हुए कोई जवाब नहीं दिया और अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। उनकी यह मुस्कान राजनीतिक रूप से आत्मविश्वास का प्रतीक मानी जा रही है।
एग्जिट पोल में एनडीए की बढ़त
दूसरे चरण की वोटिंग के बाद मंगलवार को जारी हुए एग्जिट पोल्स में एनडीए को बढ़त दिख रही है। कई सर्वेक्षणों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं महागठबंधन के प्रदर्शन को कमजोर बताया गया है। हालांकि विपक्षी दलों ने इन एग्जिट पोल्स को “भ्रामक” और “भाजपा प्रायोजित” करार दिया है। लेकिन एनडीए खेमे में इन आंकड़ों को लेकर उत्साह का माहौल है। ऐसे में नीतीश कुमार का धार्मिक स्थलों का दौरा उनके आत्मविश्वास और संयम दोनों का उदाहरण माना जा रहा है।
धार्मिक सौहार्द और राजनीति का मेल
मुख्यमंत्री के इस दौरे को बिहार की परंपरागत सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बिहार हमेशा से अनेक धर्मों और समुदायों का संगम रहा है — और नीतीश कुमार ने इस परंपरा को अपने राजनीतिक जीवन में कई बार दोहराया है। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया है कि विकास तभी संभव है जब समाज में शांति, एकता और सौहार्द कायम रहे। यही कारण है कि चुनावी सरगर्मी के बीच भी उन्होंने मंदिर, गुरुद्वारा और मजार तीनों जगह जाकर प्रार्थना की। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश का यह कदम एक ओर जनता में उनकी “धार्मिक सहिष्णुता” की छवि को मजबूत करता है, वहीं दूसरी ओर यह विरोधियों को यह संकेत देता है कि वे चुनावी माहौल में भी धैर्य और विश्वास की राजनीति पर भरोसा रखते हैं।
नीतीश के साथ मंत्री भी रहे मौजूद
मुख्यमंत्री के इस दौरे में उनके साथ जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी और विजय चौधरी भी मौजूद रहे। दोनों मंत्रियों ने भी उनके साथ पूजा और प्रार्थना में हिस्सा लिया। इस दौरे के बाद मुख्यमंत्री ने किसी राजनीतिक बयान से परहेज किया और सीधे अपने आवास लौट गए।
जनता की निगाहें अब नतीजों पर
बिहार में दो चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है। दूसरे चरण में रिकॉर्ड 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है, जो पिछले कई वर्षों की तुलना में अधिक है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस बार जनता ने पूरे जोश और उम्मीद के साथ वोट दिया है। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह तय होगा कि सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने दावे कर रहे हैं, लेकिन परिणाम का फैसला जनता की ईवीएम में कैद है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह धार्मिक दौरा एक संदेश से भरा प्रतीकात्मक कदम माना जा रहा है। यह केवल पूजा या प्रार्थना नहीं, बल्कि उस संतुलित राजनीति की झलक है जिसे नीतीश वर्षों से अपनाते आए हैं। उन्होंने मतगणना से ठीक पहले मंदिर, गुरुद्वारा और मजार का दौरा कर यह दिखाया कि उनके लिए धर्म और राजनीति का रिश्ता प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सहअस्तित्व का है। अब जबकि बिहार की जनता अपने फैसले का इंतजार कर रही है, मुख्यमंत्री का यह शांत और संयमित रुख संकेत देता है कि वे परिणाम चाहे जो भी हों, बिहार की एकता और सौहार्द के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे — और यही शायद उनका सबसे बड़ा राजनीतिक संदेश है।

You may have missed