भामाशाह जयंती कार्यक्रम में जदयू कार्यालय पहुंचे सीएम नीतीश, लोगों का किया खुद स्वागत, मंत्रियों को पहनाया साफा
पटना। राजधानी पटना स्थित जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को भामाशाह जयंती का आयोजन पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए और उन्होंने अपनी सादगीपूर्ण शैली से सभी को प्रभावित किया। कार्यक्रम की खास बात यह रही कि मुख्यमंत्री ने खुद मंच पर मौजूद नेताओं और मंत्रियों का स्वागत किया और उन्हें पारंपरिक साफा एवं गमछा पहनाकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने खुद उठाया स्वागत का दायित्व
कार्यक्रम की शुरुआत उस समय विशेष बन गई जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू कार्यालय पहुंचे। आमतौर पर राजनीतिक आयोजनों में अतिथियों का स्वागत पार्टी कार्यकर्ता या आयोजक करते हैं, लेकिन इस बार तस्वीर अलग रही। मुख्यमंत्री जैसे ही मंच पर पहुंचे, जदयू एमएलसी ललन सराफ उनके स्वागत के लिए साफा और चुनरी लेकर खड़े थे। लेकिन नीतीश कुमार ने खुद उनके हाथ से साफा और चुनरी लेकर उन्हें ही पहना दिया, जिससे आयोजन में मौजूद लोगों को एक सजीव और भावनात्मक क्षण देखने को मिला।
मंत्रियों का किया पारंपरिक सम्मान
मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने मंच पर मौजूद सभी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को पारंपरिक साफा पहनाया और गले में गमछा डालकर उनका अभिनंदन किया। यह दृश्य राजनीतिक आयोजनों में आम नहीं होता, जब एक मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों का स्वयं स्वागत करता है। इससे यह संदेश गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सहयोगियों को बराबरी और आत्मीयता का भाव देते हैं।
मुख्यमंत्री की संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली मौजूदगी
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति करीब आठ मिनट की रही। हालांकि यह समय कम था, लेकिन उन्होंने अपने व्यवहार और आत्मीयता से कार्यक्रम को विशेष बना दिया। मंच पर उनके साथ मंत्री विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, एमएलसी संजय सिंह सहित कई प्रमुख नेता मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने अंत में मंच पर खड़े होकर हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया और वहां से प्रस्थान कर गए।
कार्यक्रम की आयोजक भूमिका
इस आयोजन की व्यवस्था जदयू एमएलसी ललन सराफ ने की थी, जिन्होंने भामाशाह की जयंती को सम्मानपूर्वक मनाने की पूरी जिम्मेदारी निभाई। भामाशाह भारतीय इतिहास में अपने त्याग, सेवा और आर्थिक सहायता के लिए जाने जाते हैं। महाराणा प्रताप के सहयोगी भामाशाह की स्मृति में यह आयोजन न केवल सामाजिक एकता का प्रतीक बना, बल्कि राजनीति में सरलता और विनम्रता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया।
राजनीतिक संदेश और सामाजिक समरसता का उदाहरण
नीतीश कुमार की इस शैली ने एक सकारात्मक राजनीतिक संदेश भी दिया। उन्होंने दिखाया कि राजनीति में पद से अधिक संबंधों और व्यवहार की अहमियत होती है। उन्होंने अपने स्वभाव से यह सिद्ध किया कि एक नेता अपने सहयोगियों और कार्यकर्ताओं के बीच सम्मान और अपनत्व का वातावरण कैसे बना सकता है। इस कार्यक्रम ने जहां भामाशाह के योगदान को याद किया, वहीं नीतीश कुमार की सरलता और मानवीय पहलू को भी रेखांकित किया। भले ही उनकी उपस्थिति अल्पकालिक रही हो, लेकिन वह पूरे कार्यक्रम का केंद्र बन गई। उनके इस व्यवहार ने न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया, बल्कि जदयू की सामाजिक समरसता की नीति को भी मजबूती प्रदान की।


