लालू के दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए मुख्यमंत्री; पैदल ही राबड़ी आवास पहुचें नीतीश, तेजस्वी ने किया स्वागत

पटना। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की दही-चूड़ा भोज में सीएम नीतीश कुमार, जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और विजय चौधरी शामिल हुए। सीएम अपने आवास से पैदल ही राबड़ी आवास गए। नीतीश 10 मिनट तक वहां रुके। हालांकि हर बात की तरह इस बार लालू ने नीतीश को दही का तिलक नहीं लगाया। रिसीव करने गेट से डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव आए। फिर भोज के बाद छोड़ने गए। लालू किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहली बार दही-चूड़ा का भोज दे रहे हैं। लालू प्रसाद के अस्वस्थ रहने की वजह से बीते कई सालों से राबड़ी देवी आवास में दही-चूड़ा का आयोजन नहीं हुआ था। 2024 में लोकसभा का चुनाव भी होना है और लालू प्रसाद के दही-चूड़ा भोज में इसकी भी रणनीति बनेगी। इसमें बिहार के धाकड़ नेताओं का जुटान हो रहा है। ये भोज इसलिए खास है क्योंकि मकर संक्रांति के साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। खरमास खत्म होने के बाद बिहार की राजनीति में सियासी हलचल तेज होने की संभावना है। इसकी शुरुआत दही चूड़ा से हो सकती है। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के शुभ चिंतक मटका में दही लिए सोनपुर से सोमवार की सुबह ही राबड़ी आवास पहुंचे। सुधा से भी दही मंगाया गया है। दही-चूड़ा के बाद खरमास खत्म हो रहा है। परंपरा और मान्यता है कि खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यानी दही-चूड़ा भोज के बाद बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा भी हो जाएगा। दही-चूड़ा भोज के साथ भाजपा विरोधी गठबंधन इंडिया के अंदर सीटों की गुत्थी लालू-नीतीश मिलकर सुलझा सकते हैं। माना जा रहा है कि जिन सीटों पर पेंच फंसा हुआ है उस पर सहमति जल्द बना ली जाएगी। लालू प्रसाद लोगों को दही का तिलक लगाते हैं। यह उनकी सबसे खास बात होती है। दही-चूड़ा, सत्तू और भुजा आम बिहारियों का भोजन है। लालू प्रसाद का जुड़ाव भोजन के स्तर पर भी आम बिहारियों से दिखता है। यही वजह है कि लालू प्रसाद खूब प्यार से और दिल खोल कर दही-चूड़ा का आयोजन करते रहे हैं। दही-चूड़ा के साथ ही तिलकुट का भी इंतजाम है। आलू, गोभी और मटर की रसदार सब्जी भी है। दूध-दही का सरोकार यादव जाति से सबसे ज्यादा है और जाति गणना में इस बार भी यह दिखा कि बिहार में यादव जाति सबसे अधिक संख्या में हैं। बिहार में 14.26 फीसदी यादव हैं। यह लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का कोर वोट बैंक हैं। इसी के साथ मुसलमानों का नेता भी लालू प्रसाद को ही माना जाता है। बिहार में 17.70 फीसदी मुस्लिम हैं। लालू प्रसाद के इस समीकरण को एमवाई समीकरण कहा जाता है। तेजस्वी यादव जब से सत्ता में आए उन्होंने एटूजेड की बात करनी शुरू की। लेकिन अभी भी सवर्ण वोट बैंक लालू प्रसाद से नहीं जुड़ पाया है। वह भाजपा के साथ ही है। वही भाजपा कार्यालय में आयोजित दही-चू़ड़ा भोज में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने पहले लालू यादव का राजनीतिक करियर बर्बाद किया। अब नीतीश कुमार का कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने ममता बनर्जी का बहाना बनाकर यह स्पष्ट कर दिया कि वह समाजवादियों को बर्बाद करना चाहती है।

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