सहरसा में जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में हिंसक झड़प, चार घायल, पुलिस ने चलाई लाठियां

मारपीट में घायल युवक
सहरसा। बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा थाना क्षेत्र में सोमवार को जमीन विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। इस झगड़े में दो पक्षों के बीच मारपीट हुई जिसमें चार लोग घायल हो गए। घायलों में दो महिलाएं भी शामिल हैं, जिनका इलाज सहरसा सदर अस्पताल में चल रहा है। इस घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पुलिस प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर किया है।
पुराना विवाद बना झगड़े की वजह
घटना का कारण आठ डिसमिल जमीन को लेकर चल रहा तीन महीने पुराना विवाद था। पीड़ित पक्ष के मुख्तार बखो ने बताया कि उनका विवाद पड़ोसी फरमान और इस्माइल के साथ था। सोमवार को विवादित भूमि की नापी होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह प्रक्रिया टाल दी गई। इसी के बाद रात में कहासुनी बढ़ती गई और बात हिंसा तक पहुँच गई।
लाठी-डंडों से हुआ हमला
घटना के अनुसार, रात को विरोधी पक्ष ने मुख्तार के परिवार पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इस हमले में मुख्तार, उनकी पत्नी जाहिरा, बेटी रुखसाना और एक अन्य व्यक्ति बेचन बखो घायल हो गए। सबसे गंभीर चोट मुख्तार के बेटे को आई, जिसे सिर में गहरी चोट लगी। महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें बेरहमी से पीटा गया।
थाना पहुंचने पर मिला तिरस्कार
हमले के बाद घायल पीड़ित जब खून से लथपथ नवहट्टा थाना पहुंचे, तो उन्हें वहां से भगा दिया गया। पीड़ित बेचन बखो का कहना है कि पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की और उन्हें इलाज के लिए भेजने की बजाय थाने से दूर कर दिया। यह रवैया कानून की रक्षा करने वाली व्यवस्था की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
नवहट्टा थानाध्यक्ष ज्ञानरंजन का कहना है कि दोनों पक्षों के लोग झगड़े में घायल हुए हैं। जब एक पक्ष बड़ी संख्या में थाने पहुंचा, तो उन्हें पहले इलाज कराने की सलाह दी गई। लेकिन जब भीड़ नहीं हटी, तो पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। यह बयान न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि पीड़ितों को प्राथमिकता नहीं दी गई।
मामले की जांच की बात
सहरसा सदर एसडीपीओ आलोक कुमार ने मीडिया को बताया कि मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह आश्वासन तभी प्रभावी माना जाएगा जब पीड़ितों को समय पर न्याय और सुरक्षा मिलेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते भूमि विवाद
इस घटना ने एक बार फिर बिहार के ग्रामीण इलाकों में बढ़ते जमीन विवाद की गंभीरता को सामने ला दिया है। जमीन को लेकर छोटे से छोटे मतभेद कब हिंसा का रूप ले लेते हैं, इसका यह स्पष्ट उदाहरण है। प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की उदासीनता ऐसे मामलों को और भी जटिल बना देती है।
समाज पर प्रभाव और समाधान की आवश्यकता
इस प्रकार की घटनाएं सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती हैं और आम लोगों में असुरक्षा की भावना को जन्म देती हैं। जरूरत है कि प्रशासन भूमि विवादों के समाधान के लिए त्वरित और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए। पंचायत स्तर पर विवाद समाधान समितियों को सक्रिय किया जाना चाहिए ताकि ऐसे झगड़े पहले ही सुलझा लिए जाएं और हिंसा की नौबत न आए। सहरसा की यह घटना राज्य के कानून व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है। जहां एक ओर लोग न्याय की आस में पुलिस का दरवाजा खटखटाते हैं, वहीं जब वही पुलिस उन्हें नजरअंदाज करती है, तो उनका भरोसा व्यवस्था से उठने लगता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें और आम नागरिकों को सुरक्षा और न्याय की गारंटी मिल सके।
