नीतीश की विपक्षी एकता पर चिराग का हमला, बोले- जो खुद के घर को नहीं संभाल पा रहे वे विपक्षी दलों को क्या एकजुट करेंगे
- दलित, गरीब व पिछड़ी जातियों से आने वाले लोगों को अपमानित करने का काम करते है नीतीश : चिराग
पटना। लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की विपक्षी एकता मुहिम पर निशाना साधा है। चिराग ने कहा है कि एक तरफ जहां नीतीश जी विपक्ष के घर को मजबूत करने में लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके खुद के कुनबे की गांठें खुलती जा रही हैं। जो व्यक्ति अपने खुद के घर को नहीं संभाल पा रहा वह विपक्षी दलों को एकजुट क्या कर पाएगा? वही महागठबंधन के घटक हम पार्टी से मंत्री बने जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी द्वारा मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद चिराग ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब तय था। कोई भी व्यक्ति नीतीश जी के साथ लंबे वक्त तक नहीं टिक सकता। आगे-आगे देखिए, अभी बहुत कुछ ऐसा होने वाला है जो कहीं ना कहीं नीतीश जी की नाकामी को दर्शाता है। आगे चिराग ने कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी में आस्था जताकर जो कोई भी उनके पास गया, उसे धोखा और निराशा ही हाथ लगी है। संतोष मांझी जी का इस्तीफ़ा पुनः इस बात को प्रमाणित करता है कि किस तरह से नीतीश जी दलित, पिछड़ा, गरीब व वंचित वर्ग से आने वाले लोगों को शिर्फ अपमानित करने का ही काम करते हैं।
वही चिराग ने कहा कि जहां एक तरफ नीतीश जी विपक्षी एकता का नारा बुलंद करने में लगे हैं, वहीं उनके नीचे से उनकी ही जमीन खिसकती जा रही है जिसका अह्सास भी शायद उनको नहीं हो पा रहा है। चिराग ने कहा है कि एक तरफ जहां नीतीश जी विपक्ष के घर को मजबूत करने में लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके खुद के कुनबे की गांठें खुलती जा रही हैं। यह महज शुरुआत है, नीतीश कुमार जी के नेतृत्व को अस्वीकार करने वाले स्वरों के उठने की। आने वाले दिनों में कई और ऐसे दल होंगे जो उनके नेतृत्व के विरोध में खुलकर सामने आएंगे और अपनी बातों को रखेंगे। आगे चिराग ने कहा कि अलग होने वाली हम पार्टी कल तक तो महागठबंधन के ही साथ थी। जीतनराम मांझी जी लंबे वक्त से नीतीश जी के साथ थे, लेकिन अब नहीं हैं, ऐसे में नीतीश जिस विपक्षी एकता का मंच सजा रहें हैं वह कहां तक संभव है सोचने वाली बात है। वही चिराग ने विपक्षी एकता की स्वीकार्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि जब नीतीश जी के साथ में रहने वाले दल और लोग ही उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो अलग-अलग प्रदेशों से आने वाले दल और उनके नेता नीतीश जी के नेतृत्व को कैसे स्वीकार करेंगे?