November 23, 2025

पिता की पुण्यतिथि पर चिराग ने किया बड़ा इशारा, सोशल मीडिया पर लिखा- जीना है तो मरना सीखो, कदम कदम पर लड़ना सीखो

  • सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए पर बनाया दबाव, 35 से अधिक सीटों की हो रही मांग, खामोशी से कर रहे प्रेशर पॉलिटिक्स

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर सभी दल रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को अपने पिता और पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने न केवल अपने पिता की राजनीतिक विरासत को याद किया, बल्कि बिहार के विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। चिराग पासवान ने इस अवसर पर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा –“पापा, आपकी पुण्यतिथि पर आपको मेरा नमन। मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपके दिखाए मार्ग और आपके विजन ‘बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट’ को साकार करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूं। बिहार के समग्र और सर्वांगीण विकास का जो सपना आपने देखा था, अब समय आ गया है उसे धरातल पर उतारने का। आपने मेरे कंधों पर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उसे निभाना मेरे जीवन का उद्देश्य और कर्तव्य है।”उन्होंने आगे कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके लिए लोकतंत्र का महापर्व है, जो न केवल जनसेवा का अवसर है बल्कि अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का भी समय है। बिहार को नई दिशा देने, हर बिहारी के सपनों को साकार करने का यह अवसर है। आपके द्वारा बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग ने अपने पिता की पुण्यतिथि के मौके को भावनात्मक जुड़ाव के साथ-साथ प्रेशर पॉलिटिक्स के संकेत देने के लिए भी इस्तेमाल किया है।
‘जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत’ – पिता के आदर्शों को किया याद
एक अन्य पोस्ट में चिराग पासवान ने अपने पिता के प्रेरक शब्दों को साझा करते हुए लिखा – “पापा हमेशा कहा करते थे, जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो।” उन्होंने कहा कि ये शब्द उनके लिए मार्गदर्शक की तरह हैं और राजनीति में ईमानदारी, संघर्ष और जनता के प्रति जवाबदेही की भावना को मजबूत करते हैं।
राजनीतिक संकेत साफ, मोलभाव जारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान इस वक्त रणनीतिक खामोशी के साथ एनडीए पर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने न तो सार्वजनिक रूप से किसी दल पर टिप्पणी की और न ही सीट बंटवारे पर स्पष्ट बयान दिया। लेकिन उनके सोशल मीडिया संदेशों और जनसभाओं से साफ झलकता है कि वे अपनी पार्टी को एक मजबूत स्थिति में लाना चाहते हैं। चुनाव से पहले पिता की पुण्यतिथि पर चिराग पासवान का यह भावनात्मक संदेश उनके राजनीतिक आत्मविश्वास और रणनीतिक परिपक्वता दोनों को दर्शाता है। एक ओर वे अपने पिता की विचारधारा को जीवित रखने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एनडीए में अपनी भूमिका को लेकर भी स्पष्ट संदेश दे रहे हैं — कि “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” का सपना केवल एक नारा नहीं, बल्कि आने वाले चुनाव में उनका मिशन है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा अब और तेज हो गई है। हालांकि लगातार बैठकों और बातचीत के बावजूद अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की 35 से अधिक सीटों की मांग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व फिलहाल 20 से अधिक सीटें देने पर तैयार है, लेकिन चिराग पासवान अपनी पार्टी के प्रभाव और पिछले चुनाव में मिले जनसमर्थन का हवाला देते हुए 35 से अधिक सीटों की डिमांड पर अड़े हुए हैं। यही वजह है कि गठबंधन के भीतर यह मामला अब पेचीदा होता जा रहा है।
पटना पहुंचे चिराग, दिया संतुलित बयान
चिराग पासवान मंगलवार देर रात पटना पहुंचे, जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में सीट बंटवारे पर चल रही चर्चा पर कहा, “सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।”* उनके इस बयान ने साफ संकेत दिया कि अंदरखाने मोलभाव का दौर जारी है। बुधवार को जब पत्रकारों ने उनसे सीट शेयरिंग के सटीक फार्मूले पर सवाल किया, तो चिराग खामोश रह गए, जिससे यह अटकलें और गहराने लगीं कि लोजपा (रामविलास) “प्रेशर पॉलिटिक्स” का रास्ता अपना रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि सार्वजनिक तौर पर संयमित रहकर वे भाजपा और जदयू पर अंदरूनी दबाव बढ़ा सकते हैं।
गठबंधन के भीतर बढ़ती रणनीतिक खींचतान
सूत्रों का कहना है कि भाजपा फिलहाल अपने पारंपरिक गढ़ों को लेकर किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती। वहीं चिराग पासवान का तर्क है कि लोजपा (रामविलास) ने पिछले चुनाव में कई सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया था, इसलिए उन्हें इस बार “सम्मानजनक हिस्सेदारी” मिलनी चाहिए। जानकारों के मुताबिक, एनडीए की तीनों प्रमुख पार्टियों — भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) — के बीच यह खींचतान अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है। एनडीए के शीर्ष नेतृत्व की कोशिश है कि चुनाव की अधिसूचना से पहले किसी साझा फॉर्मूले पर सहमति बन जाए, ताकि उम्मीदवारों की घोषणा में देरी न हो।
आगे की राह पर सबकी नजरें
फिलहाल, सीट शेयरिंग को लेकर सस्पेंस बरकरार है। चिराग पासवान की आक्रामक मांगों ने भाजपा के लिए मोलभाव का गणित मुश्किल बना दिया है। अब देखना होगा कि एनडीए इस दबाव को कैसे संभालता है और बिहार चुनाव में एकजुटता का संदेश देने में कितना सफल रहता है।

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