पटना में नहाए खाए के साथ शुरू हुआ छठ, चार दिनों तक चलेगा महाअनुष्ठान, प्रशासन की तैयारी पूरी
पटना। भारत में लोक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं के कई पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें छठ महापर्व को विशेष स्थान प्राप्त है। यह पर्व सूर्य उपासना और पारिवारिक एकता का उत्सव माना जाता है। बिहार, झारखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों में यह पर्व अत्यंत भक्ति, अनुशासन और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष भी चार दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव शनिवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। पटना सहित पूरे बिहार में इस पर्व को लेकर उत्साह और श्रद्धा का माहौल देखने को मिल रहा है।
नहाय-खाय से छठ की शुरुआत
छठ का पहला दिन नहाय-खाय के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएँ और पुरुष पवित्र नदी में स्नान करते हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बेगूसराय एवं अन्य जिलों में गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। स्नान के बाद व्रती साफ-सुथरे और नए वस्त्र धारण करते हैं। इसके पश्चात् घर या घाट पर ही प्रसाद स्वरूप लौकी-भात और चना दाल का भोजन बनाया जाता है, जिसे ग्रहण कर व्रत की विधिवत शुरुआत होती है। इस भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता। इस दिन का भोजन पवित्रता और सात्त्विकता पर आधारित होता है।
पारिवारिक एकजुटता का पर्व
छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भावनात्मक और पारिवारिक समन्वय का प्रतीक है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं और छठ व्रती को सर्वप्रथम भोजन कराया जाता है। व्रती इस पर्व को मन, वचन और शरीर की पवित्रता से निभाते हैं, इसलिए गेहूं को धोकर सुखाने की प्रक्रिया भी बहुत सावधानी से की जाती है। गेहूं को सुखाते समय यह ध्यान रखा जाता है कि उस पर कोई कीड़ा या पक्षी स्पर्श न कर सके। इस दौरान घर की महिलाएँ पारंपरिक छठ गीत गाती हैं, जिससे पूरे वातावरण में भक्ति और भावनाओं की पवित्र ध्वनि गूंजती है।
छठ गीतों का सांस्कृतिक महत्व
लोक गायिका शारदा सिन्हा और अन्य पारंपरिक कलाकारों के छठ गीत इस पर्व की विशेष पहचान बन चुके हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर शारदा सिन्हा का एक गीत साझा कर उनके योगदान को याद किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन लोकगीतों ने छठ को भावनात्मक रूप से जनता से जोड़ने का काम किया है। छठ के दौरान बजने वाले गीत न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा पैदा करते हैं, बल्कि इससे परिवार और समाज में उत्साह व भक्ति का संचार होता है।
पटना में प्रशासनिक तैयारी
छठ पर्व के दौरान घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक तैयारियाँ की हैं। पटना में प्रमुख घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण की मजबूत व्यवस्था की गई है। जाम की स्थिति न बने, इसके लिए ट्रैफिक रूट प्लान भी लागू किया गया है। विभिन्न घाटों पर पुलिस बल और ट्रैफिक कर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि भीड़ के बीच किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
पटना के कदम घाट पर आई एक व्रती महिला ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह पिछले तीस वर्षों से छठ कर रही हैं और छठी मईया ने उनकी हर मनोकामना पूरी की है। उनके अनुसार यह पर्व केवल पूजा का नहीं, बल्कि विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि घाट पर व्यवस्था बेहतर है और वे हर वर्ष इसी घाट पर अर्घ्य अर्पित करती हैं। छठ केवल त्योहार नहीं, बल्कि लोक आस्था, प्रकृति और मानव जीवन के संतुलन का प्रतीक है। सूर्य देव और छठी मइया की उपासना के माध्यम से व्यक्ति अपनी इच्छाओं, भावनाओं और कृतज्ञता को व्यक्त करता है। यह पर्व परिवार को एक सूत्र में पिरोता है और समाज में सहयोग तथा पवित्र भाव की भावना का संचार करता है। नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ यह पवित्र महापर्व आने वाले दिनों में और अधिक भक्ति, श्रद्धा और उत्साह के साथ आगे बढ़ेगा।


