BIHAR : संतान की दीर्घायु के लिए रवियोग में हुई चौठचंद्र पूजा

पटना। बिहार में खासकर मिथिलांचल के प्रसिद्ध त्योहार चौठचंद्र (चउरचन) व्रत शुक्रवार को भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को स्वाति नक्षत्र, ब्रह्म व रवियोग में मनाया गया। आचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि इस बार चौठचन्द्र पूजा पर ग्रह-गोचरों का युग्म संयोग बना था। हस्त नक्षत्र के स्वामी स्वयं चन्द्रमा होते हैं, जिससे इस पूजा में उत्तम संयोग बना था। शाम को सूर्यास्त के बाद व्रती श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए चन्द्रमा की पूजा कर ऋतुफल, दही, पुष्प तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन किये। मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीघार्यु होने का वरदान मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चन्द्रमा मन के कारक होते हैं, इसीलिए इस व्रत का अपना अलौकिक महत्व है। आज ही के दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्राप मुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चन्द्र का दर्शन करने से मिथ्या कलंक का दोष लगता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को भी स्यमंतक मणि चोरी का दोष लगा था।
अयोग्यता व ऐश्वर्य के लिए की पूजा
केसरी नगर निवासी सनातन धर्मावलंबी मीरा झा ने अपने आवास के छत पर अहिपन देकर चन्द्रमा की पूजा कर अर्घ्य दी। इसके बाद सपरिवार हाथ में फल, दही, फूल, पकवान आदि से चन्द्र दर्शन कर आरोग्यता, ऐश्वर्य एवं पारिवारिक सौहार्द्र हेतु प्रार्थना किए। उन्होंने बतायी कि वे पिछले 29 वर्षों से यह व्रत कर रही है।

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