पीयू छात्रसंघ चुनाव में बवाल, छात्रों के दो गुटों में जमकर मारपीट, चार घायल

पटना। पीयू छात्रसंघ चुनाव के मद्देनजर छात्रों के दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें चार छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने पूरे यूनिवर्सिटी कैंपस में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। घायलों में एक छात्र के सिर में गंभीर चोटें आई हैं, जिसे इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।
पोस्टर लगाने को लेकर विवाद
घटना देर रात नागेश्वर कॉलोनी में हुई, जब एनएसयूआई के प्रत्याशी शाश्वत शेखर अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार के तहत पोस्टर लगा रहे थे। इसी दौरान तीन गाड़ियों में सवार विरोधी गुट के छात्र वहां पहुंचे और बिना किसी बातचीत के मारपीट शुरू कर दी। इस हिंसा में एनएसयूआई के चार समर्थक गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। शाश्वत शेखर का कहना है कि उनकी जीत तय देखकर विरोधी घबरा गए हैं और चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही हैं, लेकिन वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
पहले भी हो चुकी है हिंसा
इससे पहले बुधवार को मगध महिला कॉलेज में भी इसी तरह की झड़प हुई थी, जहां दो गुट आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान कुछ उपद्रवियों ने एक पत्रकार पर हमला कर उसका हाथ तोड़ दिया। साथ ही, निर्दलीय प्रत्याशी सलोनी राज के समर्थकों पर भी हमला हुआ, जिसमें उनके कुछ समर्थकों को चोटें आईं। इस घटना के बाद सलोनी राज ने कहा कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी घबरा गए हैं और इसलिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनावी माहौल को प्रभावित करने की साजिश है, लेकिन वे किसी भी तरह के डर या धमकियों से पीछे हटने वाली नहीं हैं।
चुनावी माहौल में बढ़ता तनाव
पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव को लेकर लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। राजनीतिक मतभेदों के कारण छात्र संगठनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जिससे विश्वविद्यालय परिसर का माहौल अशां होता जा रहा है। छात्र संगठनों का आरोप है कि विपक्षी गुट चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए हिंसा कर रहे हैं। छात्रसंघ चुनाव किसी भी विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन जब इसमें हिंसा शामिल हो जाती है, तो यह छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। पटना यूनिवर्सिटी प्रशासन को इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
लगातार हो रही इन घटनाओं पर प्रशासन की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है। छात्रों का कहना है कि यदि प्रशासन पहले ही उचित कदम उठाता तो इस तरह की हिंसक घटनाएं नहीं होतीं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन घटनाओं पर क्या कार्रवाई करता है और चुनावी प्रक्रिया को कैसे सुरक्षित रखता है।

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