चमकी बुखार:-फिर ‘कठघरे’ में नीतीश सरकार, आक्रोशित परिजनों पर एफआईआर का मामला

पटना।(बन बिहारी) चमकी बुखार से प्रदेश में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में असमय मौत के शिकार हो रहे हैं बच्चों के मामलों में बुरी तरह से गिरी हुई नीतीश सरकार एक बार फिर चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के आक्रोशित परिजनों पर कानूनी कार्रवाई करके जनाक्रोश तथा निंदा के घेरे में आ गई है।बिहार में अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से अबतक लगभग 200 बच्चों की मौत हो चुकी है। इलाज की बुनियादी सुविधाएं न मिलने पर जनता के बीच आक्रोश पनपा हुआ है। इसी जन आक्रोश का इजहार करने के लिए लोग जब सड़कों पर उतरे तो नीतीश सरकार की प्रशासन ने उल्टा उनपर ही एफआईआर दर्ज करवा दी। मामला वैशाली जिले के हरिवंशपुर गांव का है। यहां चमकी बुखार का विरोध करने पर 39 गांव वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है। बीते दिनों ग्रामीणों ने इलाके में 11 बच्चों की मौत और जल आपूर्ति पर प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।ज्ञातव्य हो की बिहार में चमकी बुखार से अबतक 152 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अकेले 131 बच्चों की मौत मुजफ्फरपुर जिले में दर्ज की गई है। लगातार बढ़ते जा रहे मौत के आंकड़ों ने सरकार की बदहाल स्वस्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। पीड़ित बच्चों को वक़्त पर इलाज नहीं मिल रहा और अस्पताल की हालत बेहद खराब है। वहीं इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत पर राज्य सामाजिक कल्याण विभाग ने एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) स्कीम पर अधिक बल देने का फैसला किया है। इस स्कीम के तहत कुपोषण की समस्या को दूर किया जाएगा।एफआईआर दर्ज होने के बाद मृत बच्चों के परिजनों ने कहा ‘हमारे बच्चे मर रहे हैं हमने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया तो प्रशासन ने हमारे खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर दी। जिन पुरुषों के खिलाफ एफआई दर्ज की गई है वह गांव छोड़कर चले गए हैं। परिवार का भरण-पोषण करने वाले वही थे।’ प्रशासन की इस कार्रवाई से आस-पास के गांव समेत पूरे इलाके में आक्रोश का माहौल व्याप्त है। लोग हैरत में है कि सरकार कैसे इस कदर संवेदनहीन हो सकती है।

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