कल से शुरू होगा चैती छठ का महापर्व, पटना में गूंजने लगे छठी मईया के गीत, प्रशासन की तैयारी पूरी
पटना। बिहार सहित देश के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला चैती छठ महापर्व एक अप्रैल से शुरू हो रहा है। लोक आस्था के इस चार दिवसीय पर्व की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। राजधानी पटना समेत विभिन्न शहरों में छठी मैया के गीत गूंजने लगे हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया है। प्रशासन भी घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क है ताकि श्रद्धालु निर्बाध रूप से पूजा कर सकें।
छठ महापर्व का महत्व और मान्यता
चैती छठ मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है। इसे मनोकामना पूर्ति का पर्व भी माना जाता है। श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस व्रत को रखते हैं और इसे अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा से संपन्न करते हैं। कार्तिक मास में मनाए जाने वाले छठ पर्व की तुलना में चैती छठ को कम लोग करते हैं, लेकिन इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व उतना ही अधिक है।
पहला दिन: नहाय-खाय (1 अप्रैल 2025, मंगलवार)
महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। खासतौर पर चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का सेवन किया जाता है।
दूसरा दिन: खरना (2 अप्रैल 2025, बुधवार)
इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन किया जाता है। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे का कठिन उपवास शुरू हो जाता है, जिसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता।
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल 2025, गुरुवार)
इस दिन छठ व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। वे तालाब, नदी या अन्य जल स्रोतों के किनारे एकत्रित होकर सूर्य देव की उपासना करते हैं और छठी मैया से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
चौथा दिन: उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत पारण (4 अप्रैल 2025, शुक्रवार)
छठ महापर्व के अंतिम दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपने व्रत का पारण करते हैं। इस अवसर पर प्रसाद वितरण किया जाता है, जिसमें ठेकुआ, कसार, पुड़ुकिया और अन्य पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं।
छठ महापर्व का क्षेत्रीय प्रभाव
बिहार में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा से मनाया जाता है, लेकिन इसके अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी इस व्रत को पूरी आस्था के साथ किया जाता है। प्रवासी भारतीय भी इसे विदेशों में पूरी परंपरा के साथ मनाते हैं, जिससे यह पर्व वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध हो रहा है।
प्रशासन की तैयारी और श्रद्धालुओं का उत्साह
पटना सहित विभिन्न शहरों में प्रशासन ने घाटों की सफाई, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पूजा संपन्न कर सकें। छठी मैया के गीतों से माहौल भक्तिमय हो चुका है और श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। चैती छठ महापर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति और सूर्य देव की उपासना करते हैं, जिससे यह जीवन ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश देता है।


