मुकेश सहनी को साथ लाने को केंद्र ने दी वाई प्लस की सुरक्षा, आसपास 11 सुरक्षाकर्मियों का रहेगा घेरा

पटना। बिहार की सियासत में भाजपा अपने एनडीए के कुनबे को मजबूत करने में लगी है। जहां जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके उपेंद्र कुशवाहा से बीते मंगलवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की लंबी मीटिंग चली। वहीं दूसरी तरफ वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की नजदीकियां भी भाजपा के साथ बढ़ती हुई नजर आ रही है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी की सुरक्षा को मजबूत करते हुए उन्हें वाई प्लस की सुरक्षा प्रदान की है। वह भी तब जब सहनी किसी भी सदन के सदस्य नहीं है और न ही उनकी पार्टी का कोई विधायक है। आईबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि वीआईपी सुप्रीमो की जान को खतरा है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश सहनी को वीआईपी की सुरक्षा देने का फैसला लिया है। विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को अब वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा मिलेगी। अब मुकेश सहनी के साथ कम से कम 11 सुरक्षाकर्मी साथ में रहेंगे। अब सहनी के साथ सीआईएसएफ के जवान, साथ में दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर और पुलिसकर्मी आदि रहेंगे।

मुकेश सहनी की सुरक्षा को लेकर आईबी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी के ऊपर संभावित खतरे को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें Y+ कैटेगरी की सुरक्षा दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान को जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी थी। चिराग के साथ लगभग 22 सुरक्षाकर्मी बिहार में रहते हैं। हालांकि वाई सुरक्षा उन्हें पहले से मुहैया कराई गई है। जेड सुरक्षा सिर्फ बिहार में ही लागू है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रावधानों के अनुसार वीवीआईपी और अन्य क्षेत्र के लोगों को कई अलग-अलग तरह की कैटेगरी की सुरक्षा दी जाती है। भारत में स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप की सुरक्षा सबसे बड़ी होती है। इसमें कम से कम 52 सुरक्षाकर्मी होते हैं। मुकेश सहनी के लिए अचानक सुरक्षा बढ़ाने को लेकर सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं कि क्या भाजपा के साथ एक बार फिर से अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं सहनी। लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में जहां उपेंद्र कुशवाहा के बारे में कहा जा रहा है कि वह भाजपा के साथ जाएंगे। जिससे भाजपा को कुशवाहा वोट बैंक को सुरक्षित करने का मौका मिलेगा। वहीं अगर सहनी साथ आते हैं तो पिछड़ों का समर्थन भी भाजपा को मिलेगा।

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