गया नगर निगम की बड़ी लापरवाही : जातीय जनगणना का रिकॉर्ड पानी में भीगा, जानकारियां नष्ट

गया। गया में जातीय जनगणना कराए जाने के बाबत हाई कोर्ट से मिले आदेश के दूसरे ही दिन गया नगर निगम में बड़ा खुलासा हुआ है। जातीय गणना का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के मामले में गया नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जातीय गणना के रिकॉर्ड बरसात के पानी से सड़ गए है। गणना से सम्बंधित फार्म पर दर्ज किए गए अधिकांश डिटेल अब अपठनीय हो गए है। हाईकोर्ट ने 4 मई को जातीय जनगणना पर रोक लगाए जाने के साथ ही सर्वेक्षण से जुड़े सभी रिकॉर्ड को हरहाल में सुरक्षित व गोपनीय रखने की हिदायत दी थी। बावजूद इसके सारे डॉक्युमेंट्स पानी से तरबतर हो गए है। उसे अब धूप व हवा में सुखाने की तैयारी नगर निगम की ओर से की अंदरखाने की जा रही है। यही नहीं नगर निगम के अधिकारियों ने इस मामले में जातीय जनगणना के कार्य से जुड़े प्रगणकों से विनती की है कि इस बात की खुलासा कहीं नहीं करें। सब ठीक हो जाएगा। जातीय जनगणना के सर्वेक्षण का काम शिक्षकों द्वारा कराया जा रहा था। इस काम को करने वाले शिक्षकों को प्रगणक कहा जाता है। करीब 60-70 प्रगणक गया नगर निगम क्षेत्र में जातीय जनगणना सर्वेक्षण के काम मे लगाए गए थे। सभी प्रगणक अपना सर्वेक्षण डिटेल नगर निगम में हर दिन जमा करते थे। काफी विश्वास में लेने के बाद दैनिक भास्कर के संवाददाता को एक प्रगणक ने बताया कि कम से कम एक- एक प्रगणक के पास सर्वेक्षण से जुड़े 80 प्रपत्र थे जिसे फील्ड में जा कर भरा गया था। वे सभी नगर निगम में ही जमा किए गए थे। ऐसे में यदि 70 प्रगणकों ने 80 फार्म जमा किए तो कुल मिला कर साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम में जमा कराए गए थे। यानी कि साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम की लापरवाही के भेंट चढ़ गए। नगर निगम में सभी प्रगणकों का फार्म इसलिए जमा कराए गए थे कि वे वहां पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे पर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि, सभी प्रपत्र नगर निगम के सम्राट अशोक भवन के हाल रखे गए थे फिर भी लापरवाही की वजह से सारे प्रपत्र नष्ट होने के कगार पर पहुंच गए हैं। हालांकि इस मामले की जानकारी नहीं होने की बात नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा कह रही हैं। उनका कहना है कि यदि ऐसा है तो गुरुवार इसकी पड़ताल कराई जाएगी। साथ ही सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
