जातीय गणना को समर्थन देने की बात कहने वाली भाजपा पूरे देश में कराएं जाति आधारित जनगणना : जदयू

पटना। जातिगत गणना के मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने बुधवार को कहा है कि जातिगत गणना पर कोर्ट के निर्णय से जहां बिहार के पिछड़े-अतिपिछड़े और दलित समाज में ख़ुशी का माहौल है वहीं भाजपा नेता मातम में डूबे हुए हैं। भले ही इनके नेता ऊपरी तौर पर मन मार के इसके समर्थन में बयान दे रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर उनके सीने पर सांप लोट रहे हैं। इस गणना से दलितों-पिछड़ों के होने वाले हित के बारे में सोच कर इनके सीने में आग लगी हुई है। जातिगत गणना के समर्थन में बयान दे रहे भाजपा नेताओं को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि मौका देख कर बयान बदलने वाले भाजपा के नेता यह जान लें कि अब हवा-हवाई बयानों से काम नहीं चलने वाला। यदि यह लोग वास्तव में इस गणना के समर्थन में खड़े हैं तो वक्त आ गया है कि वह अपनी केंद्र सरकार को इसे पूरे देश में लागू करने के लिए कह कर जनता के प्रति अपनी वफादारी साबित करें। वास्तव में इस मसले पर भाजपा की कथनी और करनी में शुरुआत से ही भारी अंतर दिखाई दे रहा है। मीडिया के समक्ष जहां यह इस गणना के पक्ष में बयान देते हैं वहीं अंदरूनी तौर पर इसे रोकने के लिए यह प्रारंभ से ही एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। आज हर कोई यह जान चुका है कि पिछड़ा/अतिपिछड़ा और दलितों के विकास के लिए बेहद जरूरी इस गणना को रोकने के लिए कोर्ट में अर्जी लगाने वाले लोगों का संबंध भाजपा के बड़े नेताओं के साथ है। अभी भी यह लोग हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर रहे हैं। इनका यह दोहरा रवैया यह दिखाता है कि यह लोग पिछड़े/अतिपिछड़े समाज को नीचे बनाये रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। जातिगत गणना का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि 1931 की जातिगत जनगणना के बाद से आज तक में देश की सभी जातियों की दशा-दिशा में काफी परिवर्तन आये हैं। इसके बाद कई जनगणनायें हुई, जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति को छोड़ कर अन्य किसी जाति की संख्या की गणना नहीं की गयी। यह पिछड़े और अतिपिछड़े समाज के साथ सरासर अन्याय है। आंकड़ा पता चलने से पिछड़ी जातियों को आरक्षण का फायदा देकर उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है। साथ ही इससे योजनाएं बनाने और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुँचाने में आसानी होगी। भाजपा इसी से परेशान है कि यदि समाज का पिछड़ा तबका सशक्त हो गया तो कभी भी उन्हें वोट नहीं देगा। नीतीश सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर से जनगणना नहीं कर सकती लेकिन पिछड़े/अतिपिछड़ों के हित के लिए कदम उठाते हुए इन्होने अपने स्तर से गणना करवाना शुरू कर दिया है। भाजपा के लाख रोड़े अटकाने के बाद भी पिछड़े/अतिपिछड़ों व दलितों को उनका हक़ दिलवाने के लिए तन-मन से लगी हुई है। यह दिखाता है कि बिहार सरकार पिछड़े/ अतिपिछड़ों के विकास के अपने वादे के प्रति दृढ़प्रतिज्ञ है।
