ग्रह-गोचरों के सुयोग में मना मकर संक्रांति, अब सुनाई देगी शहनाई की गूंज

  • पंचांगों के मतभेद से शनिवार को भी श्रद्धालु मनाएंगे मकर संक्रांति

पटना। मकर संक्रांति पर्व को लेकर राजधानी के अलावे पूरे सूबे में उहापोह के बावजूद अधिकांशत: श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को ग्रह-गोचरों के सुयोग में संक्रांति का त्योहार मनाया। उनका मत था कि सूर्य का मकर राशि में गोचर मध्यरात्रि से पूर्व होने पर उसी दिन संक्रांति का पर्व होता है, इसीलिए आज कोरोना संक्रमण एवं भीड़भाड़ से बचते हुए लोगों ने घरों में ही स्नान जल में गंगाजल और तिल मिलाकर स्नान कर दान-पुण्य किया। वहीं पंचांगों के मतभेद, रात्रि बेला में संक्रांति काल व उदयातिथि को मानने वाले श्रद्धालु शनिवार को दही-चूड़ा, तिलकुट व खिचड़ी खाएंगे। कई लोगों ने अपने विचार देते हुए कहा कि यह तो खाने-खिलाने का पर्व है, इसीलिए दोनों दिन मनाएंगे। आज त्रिग्रही, अमला के साथ उभयचर योग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। इसी के साथ एक मास से चला आ रहा खरमास भी खत्म हो गया। अब फिर से शहनाई की गूंज सुनाई देगी।
चार महासंयोग में आज भी मनेगी मकर संक्रांति
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि बनारसी पंचांग, उदयातिथि के मान तथा पंचांगों के मतभेद की वजह से श्रद्धालु शनिवार को भी मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे। पूरे चार महासंयोग ब्रह्म, व्रज, बुधादित्य व सिद्धि योग में यह त्योहार मनाया जायेगा। सूर्य के उत्तरायण होते ही लोगों के प्रखरता में वृद्धि हो जाती है। तिल के सेवन से चर्मरोग का भय कम हो जाता है। तिल के तैलीय होने से इसके सेवन से शरीर निरोग रहता है। लोग सूर्य को जलार्घ्य के बाद पूजा-पाठ, तिल, गुड़, तिलकुट, अन्न, वस्त्र आदि का दान करेंगे।
मंदिर बंद होने से घरों में गूंजे वेद मंत्र
कोरोना महामारी से बचाव हेतु सरकार द्वारा सरे धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालुओं को निराशा तो हुई, लेकिन उनके उत्साह में कमी देखने को नहीं मिली। घरों में ही भगवत पूजन, मंत्र जाप, धार्मिक पुस्तकों का पाठ, सत्यनारायण प्रभु की कथा, कर्पूर और घी के दीपक से आरती के बाद बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर परंपरागत तरीके से पर्व को मनाया। मैथिलानी अपने कुलदेवी के पूजा के बाद घर के सभी सदस्यों को चावल, तिल व गुड़ मिश्रित प्रसाद देते हुए तिलखट भरने की प्रतिज्ञा भी दिलायी।

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