जातीय गणना मामला : सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री से पूछे सवाल, कहा- नीतीश बतायें, कैसे कम हो गई कुछ चुनिंदा पिछड़ी जातियों की संख्या

पटना। जाति आधारित गणना के आकड़ों को लेकर एक बार फिर बिहार की सियासत गरमगाई है। भाजपा नेताओं ने इसकों लेकर मुख्यमंत्री नीतीश पर गंभीर आरोप लगाये है। पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सरकार से सवाल पूछा है कि नीतीश सरकार विधानसभा में बताए कि चंद्रवंशी, धानुक, कुशवाहा जैसी कई पिछड़ी जातियों और ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार जैसी अगड़ी जातियों की आबादी कम कैसे हो गई? सोमवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना व 2023 के जातीय सर्वे के अनुसार, बिहार में यादवों की आबादी 12.7 फीसदी से बढ़ कर 14.3 फीसदी हो गई व मुस्लिम आबादी 14.6 से बढ़कर 17.7 फीसदी हो गई। लेकिन दो दर्जन से ज्यादा अगड़ी-पिछड़ी जातियों की आबादी 92 साल में घट गई। जो लोग केंद्रीयस्तर पर जातीय गणना के लिए व्याकुल हो रहे हैं, वे बतायें कि 2011 में किंग मेकर लालू प्रसाद ने UPA सरकार पर दबाव डाल कर जातीय गणना क्यों नहीं करवाई। राहुल गांधी को जातीय गणना कराने का विचार क्यों नहीं आया? उन्होंने आगे कहा की छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पिछले 5 साल से सत्ता में रहने पर इन राज्यों में जातीय सर्वे क्यों नहीं कराया गया? कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2015 में 200 करोड़ खर्च कर जो जातीय सर्वे कराया, उसकी रिपोर्ट जारी क्यों नहीं हई?
