बिहार में जातीय गणना पर नहीं हो सकी आज सुनवाई, 6 मई को हाईकोर्ट में होगी अगली सुनवाई

पटना। बिहार में जाति आधारित जनगणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक साथ 3 जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। बता दे की आज मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन यह टल गई है। वही याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बचाया है कि 6 मई को अगली सुनवाई होगी। वही इस याचिका में जाति आधारित जनगणना को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जाति आधारित जनगणना समाज में भेदभाव उत्पन्न कर सकता है। जिसकी वजह से समाज समाज में तनाव बढ़ने की आशंका है। वही इस याचिका में कहा गया है कि जाति आधारित राजनीति को रंग देने के लिए बिहार सरकार मनमाने ढंग से जाति आधारित जनगणना करा रही है। वही याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना नहीं करा रही है तो बिहार सरकार आकस्मिक निधि के फंड से 500 करोड़ रुपए खर्च करके बिहार में जाति आधारित जनगणना क्यों करा रही है? याचिका में यह दलील दी गई है कि जाति आधारित जनगणना बिहार के लिए सही नहीं है।

इसलिए इसे रद्द करने की जरूरत है। बता दे की याचिकाकर्ता शुभम की ओर से पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। शुभम ने सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 7 मार्च 2030 को जारी की गई अधिसूचना को रद्द करने की मांग की वही इस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई करने की सहमति दी है आज इस मामले पर सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार और रितु राज ने कोर्ट को बताया कि यह जाति आधारित गणना नहीं, बल्कि जनगणना यानी सेंसस है। इसमें सभी धर्मों और समुदायों के सभी व्यक्तियों की गणना की जाएगी। राज्य सरकार के पास जाति आधारित सर्वे और आर्थिक सर्वे करने की कोई शक्ति नहीं है। इसके लिए केवल केंद्र सरकार सक्षम है। बिहार सरकार के तरफ से महाधिवक्ता पीके शाही ने इस याचिका की वैधता पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए मामले को खारिज करने की गुहार की, लेकिन कोर्ट ने माना कि यह मामला सुनवाई योग्य है।

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