October 28, 2025

प्रदेश में तेजी से बढे वायरल संक्रमण के मामले, बच्चे अधिक बीमार, डेंगू और टाइफाइड का भी खतरा

पटना। बिहार समेत पूरे प्रदेश में बरसात का मौसम स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनकर सामने आया है। इस समय तापमान में उतार-चढ़ाव, हवा में नमी और जगह-जगह गंदगी के कारण वायरल संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि बच्चे इस संक्रमण का सबसे आसान शिकार बन रहे हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और असावधानी के चलते बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं।
बच्चों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के मामले
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस समय बच्चों में वायरल फीवर, खांसी-जुकाम, गले में खराश और बदन दर्द जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ये लक्षण कई बार सामान्य फ्लू जैसे लगते हैं, लेकिन कई मामलों में बुखार लंबे समय तक बना रहता है, जो गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा बना रहे तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप
बरसात के मौसम में मच्छर जनित बीमारियां तेजी से फैलती हैं। खासकर डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा बढ़ गया है। गली-कूचों, घरों के आस-पास और छतों पर जमा पानी मच्छरों के प्रजनन का सबसे बड़ा कारण है। डेंगू में अचानक तेज बुखार, प्लेटलेट्स की कमी, आंखों के पीछे दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं चिकनगुनिया में जोड़ों में तेज दर्द, बुखार और थकान की शिकायत होती है। दोनों बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी है कि आसपास पानी जमा न होने दिया जाए और मच्छरदानी या रिपेलेंट का इस्तेमाल किया जाए।
डायरिया और डिहाइड्रेशन की समस्या
दूषित पानी और बासी भोजन बरसात के मौसम में डायरिया के मामलों को बढ़ा रहे हैं। बच्चों में बार-बार दस्त, उल्टी, पेट में ऐंठन और कमजोरी जैसे लक्षण तेजी से देखने को मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डायरिया से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में डिहाइड्रेशन कहते हैं। यह स्थिति बच्चों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। डायरिया से पीड़ित बच्चों को ओआरएस का घोल, उबला हुआ पानी और हल्का भोजन देना जरूरी है।
टाइफाइड का बढ़ता खतरा
बरसात में टाइफाइड के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। यह बीमारी दूषित भोजन और पानी से फैलने वाला बैक्टीरियल संक्रमण है। टाइफाइड के लक्षणों में लगातार तेज बुखार, सिरदर्द, भूख कम लगना, पेट दर्द और कमजोरी शामिल हैं। अगर इसका समय पर इलाज न हो तो यह गंभीर रूप ले सकता है। विशेषज्ञ साफ-सुथरा खाना खाने, बाहर के कटे-फटे और गंदगी में रखे भोजन से परहेज करने की सलाह देते हैं।
जॉन्डिस यानी पीलिया
बरसात के मौसम में लिवर से जुड़ी बीमारी जॉन्डिस का खतरा भी बढ़ जाता है। इसे आम भाषा में पीलिया कहा जाता है। यह भी दूषित पानी और भोजन से फैलता है। इसमें आंखों और त्वचा का पीला पड़ना, थकान, भूख न लगना और पेट में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। जॉन्डिस में लिवर प्रभावित होता है और शरीर कमजोर हो जाता है। इसका इलाज समय पर कराना जरूरी है।
विशेषज्ञों की सलाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार यह कह रहे हैं कि बरसात के मौसम में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। बच्चों को हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया पानी पिलाना चाहिए। बाहर के खुले या बासी भोजन से पूरी तरह बचना जरूरी है। साफ-सफाई का ध्यान रखना और मच्छरों से बचाव करना बेहद जरूरी है। अगर बच्चों को तेज बुखार, दस्त, उल्टी या कोई अन्य असामान्य लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बरसात का मौसम भले ही ठंडक लेकर आता है, लेकिन इसके साथ कई बीमारियां भी फैलाता है। इस समय बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। थोड़ी सी लापरवाही बड़ी समस्या बन सकती है। सावधानी, साफ-सफाई और समय पर इलाज से न केवल बच्चों बल्कि पूरे परिवार को इन मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सकता है।

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