रोहतास में भोजपुरी सिंगर अनुपम यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, एडवांस लेकर धोखाधड़ी का आरोप
सासाराम। भोजपुरी संगीत जगत की लोकप्रिय गायिका अनुपमा यादव इस समय विवादों में घिर गई हैं। उनके खिलाफ बिहार के रोहतास जिले के धर्मपुरा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। यह मामला हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में अनुपमा यादव के अनुपस्थित रहने और एडवांस राशि लौटाने से इनकार करने से जुड़ा है।
करार के बावजूद कार्यक्रम में नहीं पहुंचीं
शिकायतकर्ता महावीर साह, जो करगहर पूर्वी से जिला परिषद सदस्य हैं, ने धर्मपुरा थाने में दर्ज एफआईआर में बताया कि गांव में हनुमान जयंती के अवसर पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए अनुपमा यादव से डेढ़ लाख रुपये में प्रस्तुति देने का करार हुआ था। करार के अनुसार, कार्यक्रम की तिथि तय की गई थी और अग्रिम राशि के रूप में उनके एजेंट को 36 हजार रुपये दिए गए। इसके बाद अनुपमा यादव ने खुद भी 25 हजार रुपये नकद लिए।
गणमान्य लोगों की मौजूदगी में रही खाली मंच
कार्यक्रम के दिन बिहार सरकार के मंत्री केदार गुप्ता, पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह, एमएलसी राधाचरण सेठ सहित कई विशिष्ट व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित थे। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीण और दर्शक भी जुटे थे, जो अनुपमा यादव की प्रस्तुति का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन तय समय पर ना तो अनुपमा यादव पहुंचीं और ना ही उनकी तरफ से कोई सूचना दी गई। इस कारण आयोजकों को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
थाने में दर्ज हुआ मुकदमा
इस घटना के बाद महावीर साह ने धर्मपुरा थाने में मामला दर्ज कराया। एफआईआर संख्या 48/2025 के तहत धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और संबंधित पक्षों से पूछताछ की जा रही है।
भोजपुरी इंडस्ट्री में असर
अनुपमा यादव भोजपुरी की जानी-मानी गायिका मानी जाती हैं। उन्होंने कई हिट एल्बम और फिल्मों में गाने गाए हैं। इसके साथ ही वह हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान भोजपुरी एक्टर और गायक पवन सिंह के प्रचार अभियान में भी नजर आई थीं। ऐसे में उन पर लगा यह आरोप उनके करियर और छवि को प्रभावित कर सकता है।
आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा
फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है। आयोजकों का कहना है कि उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ सामाजिक बदनामी भी झेलनी पड़ी है। अब देखना होगा कि जांच में क्या निष्कर्ष निकलता है और अनुपमा यादव इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कलाकारों और आयोजकों के बीच हुए समझौतों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत है।


