जम्मू कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों पर 24 अक्टूबर को होगा उपचुनाव, चुनाव आयोग ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने बुधवार को महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर की लंबे समय से खाली चार राज्यसभा सीटों पर 24 अक्टूबर को उपचुनाव आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही पंजाब की एक रिक्त सीट के लिए भी उसी दिन मतदान होगा। यह निर्णय विशेष रूप से इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि वर्ष 2021 से जम्मू-कश्मीर का संसद के उच्च सदन, राज्यसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहा है। अब विधानसभा के गठन के बाद यह स्थिति बदलने वाली है।
जम्मू-कश्मीर की रिक्त सीटें
जम्मू-कश्मीर की सभी चार राज्यसभा सीटें 2021 से रिक्त हैं। गुलाम नबी आजाद और नजीर अहमद लावे ने फरवरी 2021 में अपना कार्यकाल पूरा किया, जबकि उसी वर्ष फैयाज अहमद मीर और शमशेर सिंह मन्हास का कार्यकाल भी समाप्त हो गया था। इन नेताओं के कार्यकाल खत्म होने के बाद से जम्मू-कश्मीर का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व शून्य हो गया। दरअसल, पूर्ववर्ती राज्य को 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों — जम्मू-कश्मीर (विधानसभा के साथ) और लद्दाख (विधानसभा के बिना) — में विभाजित कर दिया गया था। उस समय इन चार खाली सीटों को पुनः भरने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी क्योंकि निर्वाचक मंडल यानी विधानसभा उपलब्ध नहीं थी।
विधानसभा के गठन के बाद रास्ता साफ
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार इन सीटों पर चुनाव कराने के लिए विधानसभा का होना आवश्यक था। अब राज्य में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और निर्वाचित विधानसभा का गठन हो चुका है। इससे राज्यसभा सीटों को भरने का रास्ता साफ हो गया है। चुनाव आयोग ने इस बार स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने कि प्रतिनिधित्व ही न रह जाए, इसलिए समय पर उपचुनाव कराना जरूरी है।
पंजाब की रिक्त सीट पर भी चुनाव
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के चार सीटों के अलावा पंजाब से एक रिक्त राज्यसभा सीट के लिए भी उपचुनाव कराने का ऐलान किया है। यह सीट आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। वे पंजाब विधानसभा के लिए निर्वाचित हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया। उनका कार्यकाल मूल रूप से 9 अप्रैल, 2028 तक था।
चुनाव की अधिसूचना और प्रक्रिया
आयोग ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि 24 अक्टूबर को मतदान होगा और उसी दिन शाम को मतगणना भी पूरी कर ली जाएगी। यह चुनाव द्विवार्षिक चुनाव की श्रेणी में आएगा, जिसमें विधानसभा के सदस्य मतदान करेंगे और क्रमशः राज्यसभा के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। मतदान प्रक्रिया गुप्त मतदान पद्धति के तहत होगी और इसमें विधानसभा के निर्वाचित सदस्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट देंगे। वोटिंग समाप्त होने के एक घंटे के भीतर ही मतगणना शुरू हो जाएगी और परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
क्यों है यह चुनाव अहम
जम्मू-कश्मीर की राजनीति के लिए ये चुनाव बेहद अहम माने जा रहे हैं। 2019 के बाद से जब राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदला गया, तब से वहां की जनता अपने राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अभाव को महसूस कर रही थी। राज्यसभा में किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि के न होने से जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में अड़चन थी। अब चार नई सीटों के भरने के बाद स्थानीय नेताओं को एक नया मंच मिलेगा और राष्ट्रीय संसद में उनकी आवाज सुनी जाएगी। इससे राजनीतिक परिपक्वता और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व को मजबूती मिलेगी।
विपक्ष और क्षेत्रीय दलों की भूमिका
इस उपचुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन भी देखने लायक होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और स्थानीय दल पहले से ही इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर की जनता को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। भाजपा भी इस बार सक्रिय है और उम्मीद कर रही है कि उसके विधायक उसके उम्मीदवारों को राज्यसभा तक पहुंचाने में सफल होंगे। इस चुनाव के परिणाम से आने वाले विधानसभा चुनावों और राज्य की राजनीतिक दिशा पर भी बड़ा असर पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों को भरने के लिए 24 अक्टूबर को होने वाला चुनाव राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इन रिक्तियों के भरने के बाद लंबे समय से अनुपस्थित प्रतिनिधित्व बहाल होगा और केंद्र तथा राज्य के बीच बेहतर संवाद स्थापित होगा। पंजाब की रिक्त सीट पर भी उपचुनाव से संसद के ऊपरी सदन में खालीपन भरने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया से एक बार फिर यह संदेश दिया जा रहा है कि लोकतांत्रिक संस्थानों का संतुलित और समय पर कामकाज लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनिवार्य है।
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