हाई कोर्ट का आदेश-अब नहीं चलेगा गरीबों के मकानों पर बुलडोजर,पटना का मामला

पटना। पटना के विक्रम इलाके के एक अतिक्रमण वाद पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला देते हुए जिला प्रशासन के बुलडोजर को फौरन रोकने का आदेश दे दिया है। दरअसल विक्रम के शाहजहांपुर गांव में एक अतिक्रमण वाद के तहत स्थानीय गरीब तथा बेसहारा किसानों के करीब एक दर्जन से अधिक मकानों पर जिला प्रशासन बुलडोजर चलाना चाहते थे। जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील किया गया था। पटना उच्च न्यायालय के एकल पीठ के न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह ने जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए आदेश जारी किया है। बता दे की पटना जिले के बिक्रम स्थित शाहजाहांपुर गांव के करीब 2 दर्जन गरीब किसान-मजदूरों के घर तोड़ने को लेकर अतिक्रमण वाद चलाया गया था। वही ग्रामीणों को न तो कागज की जानकारी थी न कानून की। बिक्रम सीओ द्वारा अतिक्रमण वाद संख्या 4/21-22 में 14 लोगों को नामजद नोटिस दिया गया की 7 जनवरी तक अपने घरों को तोड़कर हटा ले अन्यथा 17 जनवरी को सभी के घरों पर बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया जायेगा और तोड़ने में आनेवाले सरकारी खर्च को भी वसूली किया जायेगा।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाया। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी। फिर इसको लेकर सुंदरपरी देवी, नवीन कुमार,  कौशलेन्द्र कुमार सहित दर्जनों ग्रामीणों ने पटना हाईकोर्ट में सी डब्लू जे सी -467/2023 याचिका दाखिल किया। ग्रामीणों की ओर से अधिवक्ता माधव राज ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को बताया की हाड़ कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड पर रही हैं। 80 वर्षों से लोग घर बनाकर रह रहे हैं। अधिकांश के पास घर से अलावा कोई जगह नहीं हैं। ग्रामीणों की बात तक सही से नहीं सुना गया हैं और सीधे 17 जनवरी को बुलडोजर चलाकर घर तोड़ देने को कहा गया है। ऐसे में यह लोग कड़ाके की ठंड में कहां जाएंगे। घर टूटने का भय ऐसा है की जब से नोटिस दिया गया है। किसी के घर में चूल्हा तक नहीं जला हैं। अधिवक्ता माधव राज ने कोर्ट को बताया की सीओ ने एक पन्ने का मात्र एक नोटिस जारी कर लोगों को बेघर करने का भविष्य तय कर दिया। एक प्रकार से यह तुगलकी फरमान हैं, इसे समाप्त किया जाएं। वही सरकारी वकील का पक्ष जानने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने कहां की यह कार्रवाई कानूनन सही नहीं है, कोई बुलडोजर नहीं चलेगा और न किसी का घर टूटेगा और सीधे सीओ द्वारा जारी आदेश और नोटिस को खारिज कर दिया। पटना उच्च न्यायालय के आदेश जिला प्रशासन के द्वारा अतिक्रमण बात को लेकर की जा रही एक तरफा कार्रवाई की पोल खोल कर रख दी है।

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