कैमूर में दुल्हन का शादी से इनकार, कहा- दूल्हा पागल हैं, बिना दुल्हन के लौटी बारात, लगी भीड़

कैमूर। कैमूर जिले में उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब मंडप पर विवाह की अंतिम रस्म यानी सिंदूरदान से ऐन पहले दुल्हन ने शादी से इनकार कर दिया। मामला भभुआ अनुमंडल क्षेत्र के कटरा गांव का है, जहां चेनारी प्रखंड अंतर्गत बगाढ़ी गांव से बारात आई थी। लड़के का नाम हीरा उर्फ पवन कुमार बताया गया है, जो शिववचन बिंद का बेटा है। बारात बड़ी धूमधाम से पहुंची थी। द्वारपूजा और जयमाल सहित तमाम रस्में हंसी-खुशी के साथ पूरी हो चुकी थीं। दूल्हे को जेवरात और अन्य उपहार भी दुल्हन पक्ष द्वारा दिए जा चुके थे। लेकिन जैसे ही सिंदूरदान की बारी आई, एक अप्रत्याशित मोड़ आ गया। मंडप में मौजूद महिलाओं के शोरगुल के बीच दूल्हे का हाथ कांपने लगा। यह देखकर दुल्हन ने अचानक शादी से इनकार कर दिया। उसने दूल्हे को “पागल” करार देते हुए शादी न करने की बात दोटूक कह दी। हालात बिगड़ते देख तुरंत डायल 112 को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को भभुआ थाने बुलाया। वहां घंटों तक दोनों पक्षों में समझौता कराने की कोशिश होती रही, लेकिन दुल्हन और उसके परिजन शादी के लिए तैयार नहीं हुए। पुलिस के समझाने-बुझाने के बावजूद लड़की अपनी बात पर अडिग रही। अंततः बारात को बिना दुल्हन के ही वापस लौटना पड़ा। घटना के बाद लड़के के परिजन बेहद आक्रोशित नजर आए। दूल्हे के जीजा ने बताया कि शादी की सभी रस्में पूरी हो चुकी थीं और केवल सिंदूरदान बाकी था। उन्होंने कहा, “लड़की को सोने के गहने, महंगी साड़ी और अन्य सामान दे दिए गए थे। लेकिन महज एक छोटी सी बात पर लड़की ने शादी से मना कर दिया। वहीं, दूल्हे के पिता शिववचन बिंद ने दावा किया कि शादी एक लाख रुपये में तय हुई थी, जिसमें से उन्होंने 90 हजार रुपये नगद दे दिए थे। इसमें 30 हजार के जेवर, 20 हजार की साड़ियां और 10 हजार रुपये डीजे व अन्य इंतजाम में खर्च हुए थे। उनका आरोप है कि लड़की पक्ष ने गहने अपने पास रख लिए हैं और अब शेष रकम की मांग कर रहे हैं। इस असामान्य घटनाक्रम के चलते गांव में बड़ी संख्या में लोग जुट गए और मामले की चर्चा इलाके में फैल गई। कुछ लोगों का कहना है कि लड़के की मानसिक स्थिति को लेकर पहले से संदेह था, जो सिंदूरदान के समय स्पष्ट हो गया। वहीं अन्य लोग इसे लड़की पक्ष की सोची-समझी चाल बता रहे हैं। कैमूर की यह घटना एक बार फिर सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर विवाह के समझौतों, पारदर्शिता और भरोसे की अहमियत को रेखांकित करती है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल दोनों पक्षों को मानसिक व आर्थिक रूप से प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में विवाह जैसी संस्था की गंभीरता पर भी सवाल खड़े करती हैं।
