आदिकाल से आजादी तक ब्राह्मणों की रही है अहम भूमिका : मंत्री
- परशुराम सेवा संघ सह राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा ने मनाया परशुराम जनमोत्सव
पटना। परशुराम सेवा संघ सह राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा की ओर से स्थानीय विद्यापति भवन के सभागर में ब्राह्मणों के अराध्य महर्षि परशुराम का जन्मोत्सव मनाया गया। जहां वक्ताओं ने ब्राह्मण समाज की एकजुटता पर बल दिया। समारोह के उद्घाटनकर्ता सूबे के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री आलोक रंजन झा ने कहा कि भगवान परशुराम शास्त्र व शस्त्र दोनों के लिए प्रख्यात थे। वे ज्ञान व शक्ति दोनों के उपासक थे। वे सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज को सही दिशा देते थे। हमें उनसे प्रेरणा लेकर समाज को एकजुट करने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि आदिकाल से आजादी काल तक ब्राह्मण समाज की भूमिका अहम रही है। समाज निर्माण में इस समाज की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता है। हमारी जागृति का ही देन है कि कल तक भूरा बाल साफ करने वाले भी ए टू जेड का नारा दे रहे हैं।
आपसी प्रतिस्पर्धा छोड़ एकजुट हो ब्राह्मण समाज
मुख्य अतिथि बिहार विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के उपनेता देवेश चन्द्र ठाकुर ने कहा कि ब्राह्मण समाज में आपसी प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, जिस कारण से यह समाज विकास नहीं कर पा रहा है। इसलिए इस समाज को प्रतिस्पर्धा की बातों को छोड़कर समाज के नवनिर्माण को एकजुट होना होगा।
उचित राजनीतिक भागीदारी मिलनी चाहिए
समारोह के मुख्य वक्ता पूर्व विधायक राजन तिवारी ने कहा कि हमारा समाज शुरू से गरीब रहा है, मगर हमारा योगदान समाज को शिक्षित करने व संस्कार देने में रहा है इसलिए हमें उचित राजनीतिक भागीदारी मिलनी चाहिए।
अपनी ताकत का अहसास कराना होगा
समारोह की अध्यक्षता कर रहे संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र मिश्रा ने कहा कि राजनीतिक दलों को हमें समय-समय पर अपनी ताकत का अहसास कराना होगा, तभी वे हमें सामाजिक व राजनैतिक भागीदारी देंगे। सिर्फ याचक बनकर हमारा विकास नहीं होगा हमें भी शासक के खिलाफ परशुराम बनना होगा।
इन्होंने विचार व्यक्त किए
कार्यक्रम का संचालन प्रदेश सचिव राजेश मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. आनंद ठाकुर ने किया। इस मौके पर विधायक नीतीश मिश्रा, जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा, लोजपा (रा) के प्रवक्ता राजेश भट्ट, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी, ब्राह्मण नेता शंकर झा, अशोक झा, भवान झा, कमलापति त्रिपाठी, डीआईजी अरविन्द ठाकुर, विवेकानंद ठाकुर, विवेकानंद झा, आशा झा, प्रियंका झा सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।