राज्य में बराबर होंगे सीबीएसई और बिहार बोर्ड के छात्र, एनसीईआरटी ने किया बड़ा बदलाव, मार्कशीट को मिलेगी सामान्य मान्यता

नई दिल्ली। देशभर के छात्रों के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक और राहतभरा निर्णय लिया है। अब चाहे कोई छात्र सीबीएसई, आईसीएसई या फिर किसी भी राज्य शिक्षा बोर्ड से पढ़ाई करता हो, उसकी 10वीं और 12वीं की मार्कशीट को उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में समान रूप से मान्यता मिलेगी। मंत्रालय का मानना है कि यह कदम छात्रों के बीच लंबे समय से चली आ रही असमानता को खत्म करेगा और उन्हें समान अवसर प्रदान करेगा।
अब नहीं होगी भेदभाव की समस्या
अब तक देश में अक्सर देखा जाता था कि केंद्रीय बोर्डों जैसे सीबीएसई और आईसीएसई की मार्कशीट को अधिक महत्व दिया जाता था, जबकि बिहार बोर्ड और अन्य राज्य बोर्डों के छात्रों को प्रवेश और नौकरी की प्रक्रिया में हाशिये पर रखा जाता था। कई बार छात्रों को अपनी योग्यता साबित करने के बावजूद सिर्फ बोर्ड की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस नए आदेश के बाद यह भेदभाव खत्म होगा और हर बोर्ड का छात्र समान रूप से योग्य माना जाएगा।
एनसीईआरटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी
शिक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट किया है कि अब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह स्कूल शिक्षा बोर्डों की डिग्रियों की *समतुल्यता* तय करे। अभी तक यह काम भारतीय विश्वविद्यालय संघ के पास था। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप इसे एनसीईआरटी को सौंपा गया है। नई व्यवस्था के तहत, एनसीईआरटी अपने राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र ‘परख’ के जरिए यह प्रक्रिया पूरी करेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी बोर्डों की परीक्षाओं और मार्कशीट को तय शैक्षिक मानकों के आधार पर परखा जाए और किसी छात्र के साथ अन्याय न हो।
होगी कठोर और निष्पक्ष प्रक्रिया
शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह अकादमिक रूप से कठोर और निष्पक्ष होगी। यानी हर बोर्ड की डिग्री का मूल्यांकन तय मानकों और मापदंडों के आधार पर होगा। मंत्रालय का कहना है कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के किसी भी कोने का छात्र केवल बोर्ड के नाम से भेदभाव का शिकार न बने।
बिहार बोर्ड के छात्रों को राहत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से खासकर बिहार जैसे राज्यों के छात्रों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। लंबे समय से यह धारणा रही है कि बिहार बोर्ड की डिग्री सीबीएसई या आईसीएसई बोर्ड की तुलना में कमजोर है। इसके कारण छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब समान मान्यता मिलने के बाद यह भेदभाव खत्म होगा और सभी छात्रों को बराबरी का अवसर मिलेगा।
छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि देश की शिक्षा प्रणाली में भी पारदर्शिता और एकरूपता आएगी। अब छात्रों को इस बात की चिंता नहीं रहेगी कि उनके बोर्ड की मार्कशीट कम महत्व रखेगी। वे आत्मविश्वास के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं और उच्च शिक्षा संस्थानों में आवेदन कर सकेंगे।
शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह बदलाव देश की शिक्षा व्यवस्था को एक नए आयाम पर ले जाएगा। इससे विभिन्न बोर्डों के बीच समन्वय बढ़ेगा और शिक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने का रास्ता खुलेगा। मंत्रालय का मानना है कि यह कदम छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मददगार होगा। कुल मिलाकर, शिक्षा मंत्रालय का यह फैसला देशभर के लाखों छात्रों के लिए नई राह खोलता है। अब हर छात्र अपनी मेहनत और योग्यता के आधार पर आगे बढ़ सकेगा, बिना इस चिंता के कि उसके बोर्ड की डिग्री कम आंकी जाएगी। एनसीईआरटी के हाथों में आई नई जिम्मेदारी शिक्षा प्रणाली को और अधिक संतुलित और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
