प्रदेश में अब 90 दिनों तक चालान नहीं भरने पर ब्लैकलिस्ट होगा वाहन, विभाग का आदेश जारी

पटना। बिहार परिवहन विभाग ने राज्य में यातायात नियमों के उल्लंघन को नियंत्रित करने और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। विभाग के नए आदेश के अनुसार, यदि किसी वाहन मालिक द्वारा 90 दिनों के भीतर चालान का भुगतान नहीं किया जाता है, तो संबंधित वाहन को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। ब्लैकलिस्टेड वाहनों के मालिक भविष्य में उस वाहन से जुड़ी किसी भी प्रकार की सेवाएँ नहीं ले पाएंगे, जैसे कि फिटनेस सर्टिफिकेट, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र, ओनरशिप ट्रांसफर, आदि। यह नियम न केवल चालान भुगतानों को सुनिश्चित करने के लिए लागू किया जा रहा है, बल्कि यह राज्य में सड़क दुर्घटनाओं और यातायात नियमों के उल्लंघन पर नियंत्रण के उद्देश्य से भी उठाया गया कदम है।
ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया और प्रभाव
परिवहन विभाग का यह आदेश उस स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है जिसमें वाहन मालिक चालान काटने के बाद भी भुगतान में देरी कर रहे हैं। चालान की अनदेखी करने वालों के खिलाफ अब एक नई नीति लागू की गई है जिसमें 90 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है। यदि यह अवधि पार हो जाती है, तो वाहन को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा, जिसका मतलब है कि उस वाहन के लिए भविष्य में कोई भी सरकारी सेवा प्राप्त नहीं की जा सकेगी। ब्लैकलिस्टेड वाहन मालिक न तो फिटनेस सर्टिफिकेट ले पाएंगे, न ही प्रदूषण सर्टिफिकेट, और न ही वाहन की ओनरशिप में बदलाव कर पाएंगे। इससे उन वाहन मालिकों को सख्त चेतावनी मिलेगी जो चालान का भुगतान करने में लापरवाही बरतते हैं।
यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्त नजर
बिहार परिवहन विभाग ने राज्य में सड़क सुरक्षा और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रमुख कदम उठाए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम 350 एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) कैमरों की स्थापना का है, जिनका उद्देश्य यातायात नियमों के उल्लंघन की निगरानी करना है। इन कैमरों की मदद से ऐसे वाहन मालिकों की पहचान की जा सकेगी जो बिना लाइसेंस, बिना नंबर प्लेट, या ओवरलोडिंग जैसी गंभीर नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, गलत पार्किंग, बिना सीट बेल्ट, ओवरस्पीडिंग और बिना हेलमेट के वाहन चलाने जैसी आम धाराओं के उल्लंघन पर भी जुर्माना लगाया जाएगा। इन उल्लंघनों पर तुरंत कार्रवाई करने और चालान जारी करने के लिए परिवहन विभाग ने एडीटीओ (असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर), एमवीआई (मोटर वाहन निरीक्षक), और ईएसआई (एनफोर्समेंट सब-इंस्पेक्टर) की नियुक्ति की है। ये सभी अधिकारी सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सड़क सुरक्षा और यातायात नियंत्रण के लिए कदम
यातायात नियमों के उल्लंघन के बढ़ते मामलों को देखते हुए बिहार सरकार ने कानूनों को सख्ती से लागू करने की योजना बनाई है। यह नई नीति राज्य भर में ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराने में मदद करेगी और वाहन चालकों को जिम्मेदारी के साथ वाहन चलाने के लिए प्रेरित करेगी। सरकार का उद्देश्य न केवल चालान के भुगतान को सुनिश्चित करना है, बल्कि इस पहल के जरिए सड़क दुर्घटनाओं की दर को कम करना भी है। चालान न भरने पर वाहन को ब्लैकलिस्ट करने के कदम का सीधा असर यातायात नियमों के प्रति नागरिकों की मानसिकता पर पड़ेगा। पहले, चालान जारी होने के बाद कई वाहन मालिक इसे गंभीरता से नहीं लेते थे और भुगतान करने में विलंब करते थे। अब, इस नए नियम से चालान की भुगतान अवधि में देरी करने वालों के लिए गंभीर परिणाम होंगे। यह नीति राज्य में बेहतर सड़क सुरक्षा मानकों के लिए एक उदाहरण पेश कर सकती है और अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है।
एएनपीआर कैमरों की भूमिका
एएनपीआर कैमरे राज्य के विभिन्न प्रमुख स्थानों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं। इन कैमरों का मुख्य कार्य नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों की पहचान करना है। जैसे ही कोई वाहन नियमों का उल्लंघन करता है, कैमरे उसकी नंबर प्लेट का स्वतः रीडिंग कर लेते हैं और उसे ट्रैफिक कंट्रोल रूम में भेज देते हैं। इसके बाद, संबंधित वाहन मालिक को चालान जारी किया जाता है। इससे न केवल नियमों के उल्लंघन को रिकॉर्ड करना आसान हो जाएगा, बल्कि नियम तोड़ने वालों को तुरंत पकड़ा भी जा सकेगा।
नागरिकों के लिए संदेश
परिवहन विभाग के इस नए आदेश का उद्देश्य स्पष्ट है – नागरिकों को यातायात नियमों का पालन करने और सुरक्षित रूप से वाहन चलाने के लिए प्रेरित करना। सरकार का यह सख्त रुख इस बात को दर्शाता है कि राज्य में कानून का पालन अनिवार्य है, और उसे नजरअंदाज करना गंभीर परिणाम ला सकता है। इस नीति से राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना है, क्योंकि यातायात नियमों का पालन करना अब सभी वाहन मालिकों की जिम्मेदारी होगी। बिहार परिवहन विभाग का यह कदम न केवल वर्तमान यातायात व्यवस्था को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि नागरिकों के बीच भी एक सकारात्मक संदेश फैलाएगा कि नियमों का उल्लंघन करना अब महंगा पड़ेगा।

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