महिला आरक्षण बिल भी BJP की जुमलेबाजी, बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में महिला सशक्तिकरण के लिए क्या किया? : जदयू

पटना। जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. भारती मेहता और प्रदेश प्रवक्ता अनुप्रिया ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से पेश महिला आरक्षण बिल को जुमलेबाजी करार दिया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि संसद से बिल पास तो हो गया, लेकिन महिला आरक्षण कानून कब से देश में लागू होगा और महिलाओं को कब से इस बिल का फायदा होगा इसको लेकर भाजपा ने कोई जानकारी नहीं दी है। उन्होंने BJP से सवाल पूछते हुए कहा कि अगर वास्तव में भाजपा महिलाओं के अधिकार के लिए इतनी चिंतित है तो आखिर वो साल 2014 से अबतक चुप क्यों रही और उसने महिला आरक्षण बिल को दबाकर क्यों रखा? वही लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जवाब का जिक्र करते हुए तीनों प्रवक्ताओं ने BJP से सवाल पूछते हुए कहा कि अमित शाह ने साल 2024 चुनाव के तुरंत बाद जनगणना कराने की बात कही है, लेकिन केंद्रीय मंत्री को ये नहीं पता कि 2024 चुनाव के बाद केंद्र से भाजपा की विदाई तय है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि अमूमन जनगणना की फाइनल रिपोर्ट आने में सालों लग जाते हैं, साथ ही जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन होगा और फिर बाद में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही इस बिल का लाभ महिलाओं को मिल पाएगा। ऐसे में महिला आरक्षण बिल देश में कब से लागू होगा इस बारे में केंद्र सरकार ने कोई समय सीमा नहीं बताकर दरअसल महिलाओं के साथ धोखा किया है।

वहीं, पार्टी प्रवक्ताओं ने बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर गुजरात में महिला सशक्तिकरण के नाम पर कोई काम नहीं करने के गंभीर आरोप लगाए। प्रवक्ताओं ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने ना तो पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को आरक्षण दिया और ना ही राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण। यहां तक की गुजरात में पुलिस बलों की नौकरी में बेटियों की हिस्सेदारी भी तय नहीं की। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि जब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की भलाई के लिए कोई काम नहीं किया, तो फिर वो प्रधानमंत्री रहते महिला सशक्तिकरण के लिए क्या ठोस करेंगे ये समझा जा सकता है? पार्टी प्रवक्ताओं ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा के लिए महिला सशक्तिकरण केवल चुनावी जुमला है। उन्होंने आगे कहा कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उसने महिला सशक्तिकरण से जुड़े चुनावी मेनिफेस्टो के 23 बिंदुओं में से महिला आरक्षण विषय को पहला स्थान दिया था। वहीं, साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान महिला आरक्षण बिल का मुद्दा पार्टी की कार्यसूची में 14वें स्थान पर आ गया। प्रवक्ताओं ने आगे कहा कि इससे ये साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि BJP के लिए महिला सशक्तिकरण महज चुनावी शिगूफा है।

You may have missed