राष्ट्रीय एकता के लिए बड़ा खतरा है भाजपा की उन्मादी राजनीति : जदयू

पटना। भाजपा को निशाने पर लेते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि मणिपुर में पिछले ढाई महीने से फैली अशांति और भाजपा की चुप्पी से यह साफ़ हो गया है कि वर्तमान समय में राष्ट्रीय एकता के लिए भाजपा की उन्मादी राजनीति से बड़ा खतरा कोई और नहीं है। यह देश के समाजिक तानेबाने और आपसी भाईचारे की कीमत पर अपना राज स्थापित करने के लिए भाजपा द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों का ही नतीजा है कि आज मणिपुर में फैली आग की आंच अब उत्तर-पूर्व राज्यों के कई इलाकों में फैलने लगी है। खबरों के अनुसार एक समुदाय विशेष के लोग मिज़ोरम से भाग रहे हैं। मेघालय से भी झड़प की खबरें आने लगी है, वहीं नगालैंड, असम के कुछ इलाकों में भी तनाव की रिपोर्ट आ रही है। हिंसा-प्रतिहिंसा की आग में पूरा पूर्वोत्तर भारत घिरता जा रहा है, लेकिन ठोस कारवाई करने की बजाए केंद्र सरकार अभी भी मुंह बाए तमाशा देख रही है। मणिपुर हिंसा में भाजपा की बीरेन सिंह सरकार न सिर्फ नाकारा साबित हुई है, बल्कि हिंसा भड़काने में उसकी संलिप्तता भी अब कोई ढकी-छिपी बात नहीं है।आधे दर्जन से अधिक भाजपा विधायकों की स्वीकारोक्ति के बाद बात यह पूरी तरह साफ हो चुकी है कि मणिपुर की भाजपा सरकार न सिर्फ वहां के संकट का समाधान करने में नाकाम रही है, बल्कि स्वयं संकट का कारण भी है। उसके रहते वहां शांति बहाली असंभव है। लेकिन फिर भी केंद्र सरकार इस मामले में कुछ करना तो दूर एक बयान तक नहीं दे रही है। यह बताता है कि मणिपुर की हिंसा कोई संयोग नहीं बल्कि भाजपा का सोचा समझा प्रयोग है। वही राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि वास्तव में मणिपुर की मौजूदा त्रासदी कोई अचानक पैदा हुआ संकट नहीं है, बल्कि इसके पीछे हिंदुत्व की लहर पैदा करने और एक समुदाय विशेष में भाजपा का अपना स्थायी वोटबैंक बनाने की सुस्पष्ट रणनीति है। यह वही रणनीति है जिसे भाजपा गुजरात, मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पहले आजमाती आ रही है। इनका स्पष्ट संदेश है कि जो भी इनके साथ है उन्हें कुछ भी करने की आजादी है और जो भी इन्हें वोट नहीं देगा उसपर इनका कहर बरपते रहेगा। लेकिन इनका यह प्रयास इस बार उल्टा पर गया है। मणिपुर की नृशंस घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। लोग समझ चुके हैं कि देश को बचाना है तो भाजपा को हटाना होगा।

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