दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने के बाद बीजेपी को जल्द मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष, कई नए चेहरे पर होगा विचार
पटना। दिलीप जायसवाल के मंत्री पद ग्रहण करने के साथ ही बिहार भाजपा में संगठनात्मक फेरबदल की संभावनाएं और अधिक प्रबल हो गई हैं। विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को मिली शानदार जीत के बाद पार्टी अब अपने संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा लंबे समय से ‘एक नेता, एक पद’ के सिद्धांत पर जोर देती आई है, और इसी नीति के तहत माना जा रहा है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल जल्द ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे या पार्टी उन्हें किसी अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पर भेज देगी।
दिलीप जायसवाल का मंत्रिमंडल में वापसी
गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में दिलीप कुमार जायसवाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उपमुख्यमंत्रियों—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा—के साथ मंत्री पद की शपथ ली। कुल 26 मंत्रियों को शामिल किया गया, जिनमें जायसवाल भी थे। वह इससे पहले भी नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जब उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्होंने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अब दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि वह प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व नहीं संभालेंगे।
राजनीतिक संदर्भ और संगठनात्मक बदलाव
दिलचस्प बात यह है कि जायसवाल को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी उस समय दी गई थी जब सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया गया था। उस समय भी वे मंत्री थे और राजस्व विभाग संभाल रहे थे। फरवरी 2025 में उन्होंने मंत्री पद छोड़ा और संजय सरावगी को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन अब उनके फिर से मंत्री बनने के बाद भाजपा में एक नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। पार्टी के भीतर यह परिवर्तन आवश्यक माना जा रहा है ताकि संगठन और सरकार दोनों में संतुलन स्थापित किया जा सके।
भाजपा शीर्ष नेतृत्व की रणनीति
जायसवाल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है और उनकी संगठनात्मक पकड़ तथा चुनावी रणनीति को देखकर ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन और 2025 विधानसभा चुनावों में पार्टी की सीटों में हुई बढ़ोतरी का श्रेय भी उनके नेतृत्व को दिया जाता है। लेकिन अब जब वह दोबारा मंत्री बन चुके हैं, तो शीर्ष नेतृत्व उन्हें सरकार में अधिक सक्रिय देखना चाहता है। इसी वजह से संगठन में नया चेहरा तलाशना जरूरी हो गया है।
नए अध्यक्ष की संभावनाएं
संगठन सूत्रों की मानें तो भाजपा बिहार में ऐसा नेता चाहती है जो प्रदेश ईकाई को मजबूती दे सके और पार्टी की भविष्य की रणनीतियों को प्रभावी रूप से आगे बढ़ा सके। खासतौर पर आने वाले नगर निकाय चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा एक ऐसे नेता की तलाश में है जो संगठनात्मक स्तर पर ऊर्जा भर सके। हालांकि अभी किसी नाम पर आधिकारिक चर्चा सामने नहीं आई है, लेकिन कई संभावित नामों पर पार्टी के भीतर बातचीत तेज है। भाजपा जातीय और भौगोलिक संतुलन को ध्यान में रखकर ही नया अध्यक्ष चुनने की तैयारी में है ताकि व्यापक जनाधार को मजबूती मिले।
एनडीए की सरकार और भाजपा की भूमिका
एनडीए सरकार के गठन के बाद भाजपा प्रशासनिक तालमेल और संगठनात्मक मजबूती को लेकर काफी सक्रिय है। मंत्री के रूप में दिलीप जायसवाल का शामिल होना यह संकेत देता है कि पार्टी उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखना चाहती है। उनके अनुभव और रणनीतिक कौशल का उपयोग विधानसभा चुनावों के बाद शासन व्यवस्था को सुचारू करने में किया जाएगा। वहीं, नया प्रदेश अध्यक्ष संगठन में नई ऊर्जा और नई दिशा देने की जिम्मेदारी निभाएगा।
आगामी बदलावों की संभावना
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि आने वाले कुछ हफ्तों में भाजपा प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस पर गहन मंथन कर रहा है और जल्द ही नया चेहरा प्रदेश कमान संभाल सकता है। यह बदलाव पार्टी के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि भाजपा आने वाले चुनावी दौर में संगठन को और अधिक मजबूत करते हुए राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ बढ़ाने के प्रयास में है। अंततः, दिलीप जायसवाल के मंत्री बनने से स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें सरकार में सक्रिय भूमिका देना चाहती है, जबकि संगठन को नई दिशा देने के लिए नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। यह बदलाव संगठनात्मक मजबूती और चुनावी तैयारी के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


