शिक्षकों के प्रशिक्षण में तीन बार बायोमैट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य, आदेश जारी

पटना। बिहार सरकार ने शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा विभाग के नए आदेश के अनुसार, अब शिक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान दिन में तीन बार बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज करानी होगी। यह कदम प्रशिक्षण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है। अब तक शिक्षकों को उनके कार्यस्थल से दूर, दूसरे जिलों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था। इससे न केवल शिक्षकों को असुविधा होती थी, बल्कि समय और संसाधनों की भी बर्बादी होती थी। इस पद्धति में कई बार प्रशिक्षण की गुणवत्ता और उपस्थिति को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। नई प्रक्रिया के तहत, शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर या राज्य द्वारा निर्धारित केंद्रों पर बुलाया जाएगा। यहां उनकी उपस्थिति की निगरानी बायोमैट्रिक प्रणाली के जरिए की जाएगी। शिक्षा विभाग ने दिन में तीन बार बायोमैट्रिक उपस्थिति का नियम लागू किया है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक प्रशिक्षण के हर चरण में सक्रिय रूप से भाग लें। पहली उपस्थिति सुबह प्रशिक्षण शुरू होने से पहले। दूसरी उपस्थिति मध्याह्न के समय।  तीसरी उपस्थिति दिन के अंत में, प्रशिक्षण सत्र समाप्त होने के बाद। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि शिक्षक पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित रहें और उसे गंभीरता से लें।  शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रशिक्षण पूरा करने के बाद शिक्षकों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए बायोमैट्रिक उपस्थिति का पूरा रिकॉर्ड देखा जाएगा। यदि कोई शिक्षक निर्धारित उपस्थिति दर्ज कराने में विफल रहता है, तो उसे प्रशिक्षण पूरा करने का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निदेशक, शोध एवं प्रशिक्षण परिषद को यह निर्देश दिया है कि वे शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण में इन प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। प्रशिक्षण स्थलों पर बायोमैट्रिक मशीनों की उपलब्धता और उनका सही संचालन सुनिश्चित करना। उपस्थिति डेटा को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखना ताकि जरूरत पड़ने पर इसका आसानी से निरीक्षण किया जा सके। शिक्षकों को समय पर उनके प्रशिक्षण की जानकारी देना और उनकी सुविधा का ध्यान रखना। इस कदम से प्रशिक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान पूरी तरह से उपस्थित रहें और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएं। शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे वे अपने ज्ञान को छात्रों तक बेहतर तरीके से पहुंचा सकें। उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया पारदर्शी होने से अनियमितताओं की संभावना कम होगी।  शिक्षकों में जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व की भावना बढ़ेगी। हालांकि, इस प्रक्रिया के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं। बायोमैट्रिक मशीनों का सही तरीके से काम न करना। कुछ शिक्षक इस नई प्रणाली को अतिरिक्त दबाव के रूप में देख सकते हैं। हर प्रशिक्षण केंद्र पर बायोमैट्रिक प्रणाली स्थापित करना आसान नहीं होगा। इन समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षा विभाग को आवश्यक तकनीकी और मानव संसाधन उपलब्ध कराने पर ध्यान देना होगा। साथ ही, शिक्षकों को इस नई व्यवस्था के लाभों के बारे में जागरूक करना होगा। शिक्षा विभाग का यह कदम शिक्षकों के प्रशिक्षण को अधिक संगठित, पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि इस प्रक्रिया को लागू करने में शुरुआती दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए लाभकारी होगा। शिक्षकों को अपने प्रशिक्षण में गंभीरता दिखाने के लिए प्रेरित करना और उनके ज्ञान व कौशल को निखारना इस नीति का मुख्य उद्देश्य है।

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