October 28, 2025

8 अक्टूबर को दिल्ली में बिहार एनडीए की बैठक, सीट शेयरिंग का फार्मूला होगा फाइनल, लगेगी अंतिम मुहर

नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तेज़ होती तैयारियों के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीट शेयरिंग का मसला अगले सप्ताह सुलझाने का निर्णय लिया है। 8 अक्टूबर को नई दिल्ली में गठबंधन की एक अहम बैठक होगी, जिसमें भाजपा, जदयू, लोजपा, हम और रालोमो जैसे सभी घटक दल शामिल होंगे। इस बैठक में आपसी सहमति बनाकर सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा और फिर इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
दिल्ली में होगी अहम बैठक
एनडीए का शीर्ष नेतृत्व 8 अक्टूबर को दिल्ली में एक साथ बैठेगा। इस बैठक में न केवल विधानसभा की 243 सीटों के बंटवारे पर सहमति होगी बल्कि अगले साल होने वाले राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव की सीटों को भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए सभी दलों के बीच लगातार कई दौर की बातचीत जारी है। हर पक्ष ने अपना होमवर्क तैयार कर लिया है, जो बैठक में शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा जाएगा।
भाजपा की तैयारी
इसके पहले भाजपा अपने स्तर पर चुनावी समीक्षा और अंतिम तैयारियों पर ध्यान दे रही है। 4 अक्टूबर को चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पटना पहुंचेंगे और यहां पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति के साथ विस्तृत बैठक करेंगे। इस बैठक में उन नामों पर चर्चा होगी जिन्हें विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया जाना है। पार्टी की समिति हर सीट पर तीन नाम सुझाएगी जिन्हें स्क्रूटनी के बाद केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा।
नए समीकरण और बदलाव की संभावना
सूत्रों के अनुसार, इस बार सीटों के वितरण में पिछले चुनावों के समीकरण में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भाजपा और जदयू को लगभग समान संख्या में सीटें दिए जाने की संभावना है। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, जीतन राम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को भी उनकी राजनीतिक ताकत के हिसाब से सीटें दी जाएंगी। इस बार गठबंधन में पहली बार जदयू और चिराग पासवान की पार्टी एक साथ हैं। लिहाज़ा इनके बीच आपसी तालमेल के आधार पर सीटों का बंटवारा करना चुनौतीपूर्ण होगा। भाजपा और जदयू दोनों को सुनिश्चित करना होगा कि छोटे दलों को सम्मानजनक हिस्सेदारी मिले ताकि भीतरघात या असंतोष की स्थिति पैदा न हो।
उम्मीदवारों के चयन में नए मानदंड
एनडीए इस बार उम्मीदवारों के चयन में पिछली परफॉर्मेंस, स्थानीय जनभावना और सामाजिक समीकरण का विशेष ध्यान रखेगी। करीब दस फीसदी नए चेहरों को चुनावी मैदान में मौका दिया जाएगा। इसी अनुपात में उन मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे जिनका प्रदर्शन पिछले पांच वर्षों में संतोषजनक नहीं रहा है। प्रदेश चुनाव समिति का मानना है कि मजबूत प्रत्याशी उतारने से गठबंधन चुनाव में बेहतर स्थिति हासिल करेगा। इसके लिए सभी जिलों से फीडबैक लिया गया है और स्थानीय संगठनात्मक समीक्षाएं की गई हैं।
सीट शेयरिंग का महत्व
सीट बंटवारे की यह प्रक्रिया केवल विधानसभा तक सीमित नहीं है। इसे आगामी राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों से भी जोड़ा गया है। इससे गठबंधन न केवल सत्ता में वापसी की तैयारी कर रहा है बल्कि ऊपरी सदनों में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
चर्चा और अंतिम मुहर
भाजपा और एनडीए गठबंधन में शामिल अन्य दलों के बीच सीट शेयरिंग पर जो भी सहमति बनेगी, उसे केंद्रीय चुनाव समिति के समक्ष रखा जाएगा। इस समिति द्वारा सभी सिफारिशों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और तभी अंतिम मुहर लगाई जाएगी। प्रदेश चुनाव समिति के सदस्य प्रेम रंजन पटेल ने बताया है कि हर सीट पर तीन नाम सुझाए जाएंगे। इसकी स्क्रूटनी के बाद सबसे उपयुक्त प्रत्याशी चुना जाएगा। इससे यह तय होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सभी उम्मीदवार प्रतिस्पर्धी और लोकप्रिय छवि वाले हों।
चुनावी रणनीति और गठबंधन की मजबूती
यह स्पष्ट है कि एनडीए इस बार केवल सीटों के बंटवारे के गणित तक सीमित नहीं है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से एक मजबूत गठबंधन बनाना चाहती है। भाजपा और जदयू का लगभग बराबर की सीटों पर चुनाव लड़ना गठबंधन के संतुलन को बनाए रखने की ओर इशारा करता है। छोटे दलों को भी उनके योगदान और राजनीतिक प्रभाव के आधार पर सीटें मिलेंगी। 8 अक्टूबर की बैठक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए की रणनीति को अंतिम रूप देने वाली साबित होगी। इसमें न केवल विधानसभा की 243 सीटों पर बंटवारा होगा बल्कि राज्यसभा और विधान परिषद की सीटों पर भी सहमति बनेगी। उम्मीदवारों का चयन परफॉर्मेंस और स्थानीय समीकरण के आधार पर होगा, नए चेहरों को मौका दिया जाएगा और गैर-प्रभावी नेताओं के टिकट काटे जाएंगे। यह तय है कि आने वाले दिनों में एनडीए के इस फॉर्मूले पर अंतिम मुहर लगते ही बिहार की चुनावी राजनीति और भी तेज हो जाएगी।

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