October 28, 2025

दीपावली और छठ में बिहार आना हुआ मुश्किल, फ्लाइट की टिकट कई गुना महंगे, ट्रेन में नहीं मिल रही सीट

पटना। त्योहारों का मौसम नज़दीक आते ही बिहार लौटने की चाह रखने वाले लाखों प्रवासियों के सामने इस बार यात्रा एक चुनौती बन गई है। दीपावली और छठ महापर्व के अवसर पर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे महानगरों से बिहार आने वालों की भीड़ ने रेलवे और एयरलाइंस दोनों की व्यवस्था को हिला दिया है। हर वर्ष की तरह इस बार भी प्रवासी अपने घर परिवार के साथ त्योहार मनाने के लिए उत्साहित हैं, लेकिन टिकटों की भारी किल्लत और बढ़ते किराए ने इस उत्साह पर ब्रेक लगा दिया है।
ट्रेन टिकटों की भारी मारामारी
दिल्ली से पटना, भागलपुर, दरभंगा, गया और सहरसा जाने वाली लगभग सभी प्रमुख ट्रेनों में टिकटें पूरी तरह से भरी हुई हैं। तेजस, वंदे भारत, राजधानी, संघमित्रा, लोकमान्य तिलक और कुर्ला एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में किसी भी श्रेणी—स्लीपर, एसी या जनरल—में सीटें उपलब्ध नहीं हैं। वेटिंग लिस्ट सैकड़ों के आंकड़े को पार कर चुकी है और रेलवे की वेबसाइट या ऐप पर “नो अवेलेबिलिटी” का संदेश लगातार दिख रहा है। रेलवे ने बढ़ती भीड़ को देखते हुए 100 से अधिक पूजा स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है, जो करीब 4000 फेरे लगाएंगी। बावजूद इसके, यात्रियों की संख्या इतनी अधिक है कि सीट मिलना अब भी मुश्किल बना हुआ है। जो लोग टिकट पाने की आस में हैं, वे लगातार बुकिंग पोर्टलों और एजेंटों के संपर्क में हैं, लेकिन हर जगह निराशा हाथ लग रही है।
आसमान छूते हवाई किराए
जब ट्रेन में टिकट नसीब नहीं हो रही, तो लोगों ने फ्लाइट का रुख किया है। मगर यहां भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं। एयरलाइंस कंपनियों ने दीपावली और छठ के दौरान अतिरिक्त उड़ानें जरूर शुरू की हैं, लेकिन टिकटों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। बुधवार को दिल्ली से पटना की फ्लाइट का किराया 31,818 रुपये तक पहुंच गया, जो सामान्य दिनों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। मुंबई से पटना 19,880, बेंगलुरु से 15,480, चेन्नई से 25,440, पुणे से 22,218 और हैदराबाद से 18,026 रुपये तक का किराया दिखा। यहां तक कि कोलकाता से आने वालों को भी 10,730 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आम यात्रियों के लिए हवाई यात्रा अब जेब पर भारी पड़ रही है। गोआईबीबो और अन्य ट्रैवल पोर्टलों पर बुकिंग करने वालों को यह कीमत देखकर हताशा हो रही है।
रेलवे और एयरलाइंस दोनों के प्रयास
रेलवे और एयरलाइंस कंपनियां इस भारी भीड़ को संभालने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। रेलवे ने कई स्पेशल ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ने की घोषणा की है। साथ ही, बिहार जाने वाली प्रमुख रूटों पर निगरानी बढ़ाई गई है ताकि दलालों और टिकट ब्लैकिंग पर रोक लगाई जा सके। वहीं, एयरलाइंस कंपनियां अतिरिक्त उड़ानें चलाने और किराए को संतुलित रखने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन मांग इतनी अधिक है कि किराया नियंत्रण में नहीं आ पा रहा। एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर भी प्रशासनिक तैयारियां तेज कर दी गई हैं।
बसों और निजी वाहनों पर बढ़ा दबाव
जब ट्रेन और फ्लाइट दोनों रास्ते बंद दिख रहे हैं, तो यात्रियों का झुकाव अब बसों और निजी वाहनों की ओर हो गया है। लेकिन लंबा सफर, ट्रैफिक जाम और महंगा किराया इन साधनों को भी कठिन बना रहा है। दिल्ली से पटना या दरभंगा तक बस का किराया दोगुना से अधिक हो गया है, जबकि रास्ते में ट्रैफिक और लंबी यात्रा यात्रियों की थकान बढ़ा रही है। निजी कार या कैब से सफर करने वालों को टोल टैक्स और ईंधन की कीमतों के कारण भारी खर्च उठाना पड़ रहा है। इस वजह से त्योहार का उल्लास अब यात्रियों की जेब और सब्र दोनों की परीक्षा ले रहा है।
त्योहार की उमंग पर टिकटों का संकट
दीपावली और छठ बिहार की सांस्कृतिक पहचान हैं—ऐसे पर्व जब हर व्यक्ति अपने घर लौटकर परिवार संग समय बिताना चाहता है। लेकिन इस बार “दीपों का पर्व” टिकटों के अंधेरे में डूबता नज़र आ रहा है। यात्रियों के लिए अब यह केवल घर लौटने का सफर नहीं, बल्कि एक संघर्ष बन गया है। रेलवे और हवाई सेवाओं की सीमित क्षमता के बीच लाखों लोगों का एक साथ बिहार लौटना संभव नहीं हो पा रहा। प्रशासन के इंतजामों के बावजूद यात्रियों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही। त्योहारों के समय बिहार लौटने की चाह रखने वाले प्रवासी भारतीयों के सामने इस बार एक कठिन चुनौती खड़ी है। ट्रेनों में सीट नहीं, फ्लाइट में आसमान छूते किराए, बसों में भीड़—इन सबने यात्रा को कठिन बना दिया है। दीपावली और छठ का यह मौसम जहां मिलन और उल्लास का प्रतीक होना चाहिए था, वहीं अब यह आम आदमी की सहनशक्ति और आर्थिक स्थिति की परीक्षा बन गया है। एक ओर दीपों का उजाला है, तो दूसरी ओर टिकटों का अंधेरा — यही इस बार के त्योहार की सबसे बड़ी विडंबना है।

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