BIHAR : भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन त्योहार पर कोरोना की मार, फीका पड़ा बाजार
आनलाइन ही बहनें भेज रही हैं भाईयों को राखी

भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। बिहार के भागलपुर जिले में वैश्विक महामारी कोरोना ने अपना पैर पूरी तरह से पसार रखा है। इस बीच भाई-बहन प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार पर इस बार कोरोना महामारी का असर साफ दिखाई दे रहा है। त्योहार में सिर्फ 4 दिन शेष हैं, लेकिन बाजार में लॉकडाउन की वजह से कहीं रौनक नहीं दिख रही है। पूरे बाजार में कहीं राखी या मिठाई की दुकानदारी नहीं हो रही है, हर तरफ सन्नाटा दिख रहा है।
गौरतलब हो कि लॉकडाउन में सुबह 6 से 10 और संध्या 4 से 7 तक केवल खाद्य सामग्री व सब्जी की दुकानों को खोलने की छूट दी गई है। ऐसे में यदि 31 जुलाई को लॉकडाउन खत्म होकर एक अगस्त से बाजार खुल भी जाती है, तो बाजार में वह रौनक महज इसलिए दिखाई नहीं देगी कि बाहर से कोई राखी को ला नहीं पाएंगे। बीते वर्ष जिन दुकानदारों के पास राखियां बची होंगी, वहीं राखी बाजार में बिक सकती है और तब भी बाहर रह रहे भाई-बहन एक दूसरे के सामने रहकर राखियां नहीं बांध पाएंगी, यानी हर हालात में भाई-बहन का यह पवित्र त्योहार कोरोना के दंश से चोटिल होकर फीकी ही रहेंगी। जबकि एक महीने पहले से ही रंग-बिरंगी राखियों से बाजार सजा और संवरा दिखता था। इस बार अभी तक ऐसी कोई तैयारी नहीं दिख रही है।
दुकानदार विजय कुमार, प्रमोद कुमार, हर्ष, अनिल केडिया, बब्लू साह, मनीष शर्मा, सुबोध पंडित, गोविंद वर्मा आदि कहते हैं कि इस बार राखियों की डिमांड कम होने के चलते स्टॉक में जो थोड़ी बहुत नई व पुरानी राखियां हैं, यदि एक अगस्त से बाजार खोलने का आदेश प्रशासन की ओर से मिलेगी तब उसे ही किसी तरह खपाकर जमा पूंजी निकालनी है, वहीं बड़े व्यापारियों का कहना है कि इस बार चीन से राखियों की खेप नहीं मंगाई गई है और कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन भी लगा हुआ है, इस दोहरी मार के कारण बाजार में रंग बिरंगी और सस्ती राखियां अब आ ही नहीं सकती है।
चांदी की राखियों का भी क्रेज पड़ा फीका
धागों से बनी राखियों के खरीदार अभी जरूर नहीं मिल रहे हैं, लेकिन चांदी से बनी राखियों की बिक्री शुरू हो गई है। आभूषण व्यपारी पप्पू साह, सुनील वर्मा, हरिओम वर्मा आदि दुकानदारों ने बताया कि अब तक छिटपुट घर से दो-तीन राखियां वह बेच चुके हैं। लॉकडाउन की वजह से दुकानें बंद है और फिर लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर व दयनीय दिखाई दे रही हैं, जिसके चलते बाजार फीका पड़ा हुआ है। बहरहाल, फुटपाथ पर मास्क बेचने के बहाने कुछ छोटे-छोटे दुकानदार पिछले वर्ष के बचे राखियों को बेचते जरूर नजर आ रहे हैं।

