बासुकीनाथ धाम में बड़ा हादसा, बारिश से कई टेंट गिरे, सात श्रद्धालु घायल
देवघर। बासुकीनाथ धाम, जो झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, श्रावण मास के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन जाता है। इस वर्ष भी श्रावणी मेला में भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ पहुँचे हुए हैं। परंतु मंगलवार सुबह बासुकीनाथ धाम में एक बड़ा हादसा हुआ, जिसने तीर्थ यात्रा की इस श्रद्धापूर्ण भावना को कुछ क्षणों के लिए दुख में बदल दिया।
बारिश और तेज हवा बनी हादसे की वजह
बासुकीनाथ धाम में लगातार हो रही भारी बारिश और तेज हवाओं ने मंगलवार को एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया। प्रशासन द्वारा कांवरियों की सुविधा और विश्राम के लिए कांवरिया रूट लाइन पर कई टेंट लगाए गए थे। लेकिन मंगलवार सुबह तेज हवा के झोंकों और मूसलधार वर्षा के कारण ये टेंट अचानक गिर गए। इन टेंटों के गिरने से सात श्रद्धालु इसकी चपेट में आ गए और घायल हो गए।
घायलों की स्थिति और त्वरित राहत कार्य
हादसे के बाद मौके पर मौजूद अन्य श्रद्धालुओं और प्रशासन की तत्परता से तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिया गया। घायलों को तत्काल निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, घायलों में महिलाएं भी शामिल हैं और उनकी स्थिति पर चिकित्सकों की विशेष निगरानी रखी जा रही है। प्रारंभिक उपचार के बाद अधिक गंभीर मरीजों को विशेष चिकित्सा सुविधा दी जा रही है ताकि उनकी स्थिति स्थिर रहे।
प्रशासन और बचाव दल की तत्परता
घटना की सूचना मिलते ही बचाव दल और स्थानीय प्रशासन की टीम मौके पर पहुँच गई और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गई। गिर चुके टेंटों को हटाने का कार्य तेजी से किया गया ताकि अन्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। प्रशासन ने यह भी निर्देश दिया है कि पूरे कांवरिया रूट लाइन पर टेंटों की मजबूती की दोबारा समीक्षा की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
श्रावणी मेले में उमड़ी भीड़ और व्यवस्था की चुनौती
श्रावण मास में विशेष रूप से सोमवारी के दिन बासुकीनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुँचते हैं। इस बार भी लाखों श्रद्धालु देवघर और बासुकीनाथ के बीच जल लेकर चल रहे हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए हर स्तर पर व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन जाती है। टेंटों की व्यवस्था इन्हीं प्रयासों का हिस्सा थी, ताकि कांवरियों को विश्राम और मौसम की विपरीत परिस्थितियों से राहत मिल सके। लेकिन प्राकृतिक आपदा के आगे ये व्यवस्थाएं असहाय साबित हुईं।
सुरक्षा और सावधानी की आवश्यकता
यह हादसा प्रशासन और श्रद्धालुओं दोनों के लिए एक चेतावनी है कि मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए तीर्थ स्थलों पर अस्थायी ढाँचों की मजबूती और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही श्रद्धालुओं को भी चाहिए कि वे मौसम की जानकारी के अनुसार यात्रा की योजना बनाएं और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें। बासुकीनाथ धाम में हुए इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया कि तीर्थ यात्राओं में केवल आस्था नहीं, बल्कि सुरक्षा और सतर्कता भी आवश्यक है। प्रशासन की त्वरित कार्यवाही और स्थानीय लोगों की मदद से स्थिति को जल्दी नियंत्रण में लाया गया, जो सराहनीय है। फिर भी यह ज़रूरी है कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए पूर्व तैयारी और तकनीकी जांच को और अधिक प्रभावी बनाया जाए, जिससे श्रद्धालुओं की यात्रा न केवल श्रद्धा से भरपूर, बल्कि सुरक्षित भी बन सके।


