अनुराधा नक्षत्र व शोभन योग के युग्म संयोग में भाई दूज शनिवार को, जानिए पौराणिक कथा और पूजन का शुभ मुहूर्त
- चित्रगुप्त पूजा व पंच दिवसीय दीपोत्सव का भी होगा समापन
पटना। स्नेह, सौहार्द व प्रीति का प्रतीक यम द्वितीया यानि भैया दूज का त्योहार पंचदिवसीय दीपोत्सव के अंतिम दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया दिन शनिवार को अनुराधा नक्षत्र व शोभन योग के युग्म संयोग में त्योहार मनाया जाएगा। कल बहनें व्रत, पूजा, कथा आदि के बाद भाई की लंबी आयु की कामना करेगी। इसके बदले भाई भी उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए उपहार देते हैं। यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही महत्व रखता है।
ग्रह-गोचरों के युग्म संयोग में भाई दूज
भारतीय ज्योतिष विज्ञान के आजीवन सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि शनिवार को जहां बहने अपने भाई की सलामती के लिए भाई दूज का पर्व मनाएंगी, वहीं कायस्थ समुदाय के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा पूरे विधि विधान से ग्रह-गोचरों के युग्म संयोग में करेंगे। कल वित्र जलाशय, नदी में स्नान कर श्रद्धालु यम का तर्पण एवं गोवर्धन देव की पूजन करेंगे। स्कन्द पुराण के अनुसार, भाई को बहन के घर भोजन करना और उन्हें उपहार देना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से यम के दुष्प्रभाव भी कम हो जाता है। बहन अपने भाई की दीर्घायुष्य की कामना से पूजन के बाद यमराज से प्रार्थना में मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य व अश्वत्थामा इन 8 चिरंजीवियों की तरह चिरंजीव होने का वर मांगेंगी। इस दिन बहन के घर भोजन करने से आयु में वृद्धि तथा सांसारिक जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
चतुर्दिक विकास हेतु बहन जलायेगी चौमुख दीप
बहन सायंकाल गोधूलि बेला में यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती है जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है। इससे मान्यता है कि भाई के प्राण की रक्षा होती है। भाई का चतुर्दिक विकास होता है। दैहिक, दैविक और भौतिक संतापों से भाई की सुरक्षा होती है। दीपक प्रकाश देते हुए दम सभी प्रकार के तम को दूर करता है। इस प्रकार यह पर्व बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। भाई बहन का यह पर्व दीपों के पर्व का उपसंहार है।
भैया दूज की पौराणिक कथा
भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ल का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान-पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परंपरा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैया दूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
भाई दूज पूजन शुभ मुहूर्त
शुभ चौघड़िया : प्रात: 07:25 बजे से 08:48 तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:11 बजे से 11:55 बजे तक
चर मुहूर्त : दोपहर 11:33 बजे से 12:56 बजे तक
लाभ मुहूर्त : 12:56 बजे से 02 :18 बजे तक
अमृत काल: शाम 02:18 बजे से 03 :41 बजे तक