नगर निकाय चुनाव आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में 2 जनवरी को होगी सुनवाई, चीफ जस्टिस सुनेंगे मामला

पटना। नगर निकाय चुनाव 2022 में आरक्षण पर फंसे हुए पेंच को लेकर 2 जनवरी को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। पूरी सुनवाई चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन के कोर्ट में होगी। इसके लिए बिहार सरकार ने भी हाईकोर्ट में 95 पन्ने का हलफनामा दायर किया है। हो सकता है सुनवाई के बाद इसी दिन इस जनहित याचिका को डिस्पोजल कर दिया जाए। क्योंकि वर्तमान में अग्रिम सुनवाई के करंट स्टेट्स के सामने पटना हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर केस का स्टेट्स डिस्पोजल दिखा रहा है। पूरा पेंच EBC और OBC आरक्षण के मसले पर फंसा हुआ है। बिहार सरकार के द्वारा जो नगर निकाय चुनाव कराए गए उसकी वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए पटना हाईकोर्ट में सुनील कुमार और अन्य के द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी और चुनाव की वैधता पर सवाल खड़ा किया था। इस पर पिछले लगभग एक वर्ष से सुनवाई चल रही है। अब ये सुनवाई अंतिम दौर में पहुंच गई है। एक तरीके से नगर निकाय चुनाव 2022 के लिए फैसले की घड़ी है। राज्य में नगर निकाय चुनाव दो चरणों में सम्पन्न हुआ था। पहले चरण का चुनाव 18 दिसंबर 2022 को हुआ था और दूसरे चरण का चुनाव 28 दिसंबर 2022 को सम्पन्न हुआ था। राज्य में चुनाव सम्पन्न हुए लगभग एक वर्ष पूरे हो गए हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश था कि ट्रिपल टेस्ट करवाने के बाद ही आरक्षण दिया जाएगा और उसके आधार पर चुनाव होगा। लेकिन इन सब चीजों को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव कराने की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। जिसमें 10 अक्टूबर को प्रथम चरण का चुनाव होना था और 20 अक्टूबर को दूसरे चरण का चुनाव होना था। लेकिन जैसे ही हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि बिना ट्रिपल टेस्ट का चुनाव नहीं कराया जा सकता है, और अगर कराना है तो जितने भी आरक्षित पद हैं। उन्हें सामान्य मानकर तब चुनाव कराने होंगे। इसके बाद सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली थी। लेकिन गई नहीं, फिर से पटना हाईकोर्ट में ही हलफनामा दायर कर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी नियमों को मानते हुए चुनाव कराने की बात सरकार की ओर से कही गई। इसके बाद अक्टूबर महीने में होने वाले चुनाव को टाल दिया गया था। बहरहाल ढेर सारे कानूनी पेंच इस चुनाव से संबंधित फंसे हुए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से 2 जनवरी को दिल्ली के विद्वान अधिवक्ता राहुल श्याम भंडारी पक्ष रखेंगे। तो वहीं सरकार की ओर से विद्वान अधिवक्ता पीके शाही पक्ष रख सकते हैं।
