टॉपर्स घोटाला का मुख्य आरोपी बच्चा राय ने थामा ओवैसी का दामन, एआईएमआईएम में हुआ शामिल, चुनाव लड़ने की अटकलें

पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। 2016 के चर्चित टॉपर्स घोटाले के मुख्य आरोपी अमित कुमार उर्फ बच्चा राय अब सक्रिय राजनीति में उतर आए हैं। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का दामन थाम लिया है और खुद को महुआ विधानसभा सीट से भावी उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
ओवैसी से मुलाकात और ऐलान
बच्चा राय ने हाल ही में सीमांचल दौरे पर आए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा कि 6 अक्टूबर को महुआ में ओवैसी की सभा होगी। इस ऐलान के साथ ही बच्चा राय ने चुनावी मैदान में अपनी गंभीर दावेदारी का संकेत दिया है।
महुआ सीट पर बढ़ी हलचल
महुआ विधानसभा क्षेत्र 2025 के चुनाव में सबसे चर्चित सीटों में गिनी जा रही है। यहां पहले से ही राजनीतिक मुकाबला दिलचस्प हो चुका है। वर्तमान में सीट पर राजद के विधायक मुकेश रोशन काबिज हैं। दूसरी ओर, लालू यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने भी इसी सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में बच्चा राय का उतरना इस मुकाबले को और भी पेचीदा बना देता है।
टॉपर्स घोटाले की पृष्ठभूमि
2016 में बिहार बोर्ड का टॉपर्स घोटाला सामने आने के बाद पूरे देश में राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे। इसी घोटाले के केंद्र में बच्चा राय का नाम आया। उस समय वे वैशाली जिले के भगवानपुर स्थित वीआर कॉलेज के सचिव और प्रिंसिपल थे। घोटाले की पोल तब खुली जब इंटर आर्ट्स टॉपर रुबी राय ने टीवी इंटरव्यू में पॉलिटिकल साइंस को प्रॉडिगल साइंस बताया और कई बुनियादी सवालों के गलत जवाब दिए। इसी तरह साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ पानी का रासायनिक सूत्र तक नहीं बता पाए। इसके बाद बोर्ड ने टॉपर्स की दोबारा जांच कराई और बड़ी गड़बड़ियां सामने आईं।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
जांच में सामने आया कि कई छात्रों की कॉपियां किसी और से लिखवाई गई थीं। इस मामले में रुबी राय गिरफ्तार हुईं। साथ ही बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी, जेडीयू की पूर्व विधायक उषा सिन्हा को भी अरेस्ट किया गया। बच्चा राय को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया और उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया। काफी समय जेल में रहने के बाद बच्चा राय को जमानत मिल गई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके घर और ठिकानों पर छापेमारी की। लगभग पौने तीन करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। 2018 में ईडी ने उनकी करोड़ों की जमीन जब्त कर ली।
अब राजनीति में वापसी
कानूनी मुश्किलों से जूझने और लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहने के बाद बच्चा राय अब राजनीतिक मंच पर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने महुआ विधानसभा क्षेत्र में अपने पोस्टर जगह-जगह लगवाए हैं। इन पोस्टरों में उन्होंने खुद को एआईएमआईएम का भावी उम्मीदवार बताया है। यही नहीं, वे लेटरहेड पर भी इसी पहचान का इस्तेमाल कर रहे हैं।
महुआ में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
महुआ सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं। एक ओर आरजेडी के वर्तमान विधायक मुकेश रोशन हैं, दूसरी ओर तेज प्रताप यादव अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के बैनर तले मैदान में उतरने जा रहे हैं। अब बच्चा राय एआईएमआईएम से उम्मीदवार बनकर इस सीट को और भी हॉट बना रहे हैं। यह सीट इसलिए भी खास है क्योंकि यहां विभिन्न जातीय और सामाजिक समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं।
चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि बच्चा राय के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। टॉपर्स घोटाले के कारण उनकी छवि विवादित रही है। विपक्षी दल निश्चित रूप से इस मुद्दे को चुनावी प्रचार में उठाएंगे। इसके बावजूद, स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ और समर्थकों का आधार उन्हें कुछ हद तक मजबूती देता है। एआईएमआईएम का समर्थन मिलने से उन्हें एक राजनीतिक मंच भी मिल गया है। बच्चा राय का एआईएमआईएम में शामिल होना और महुआ से चुनाव लड़ने का ऐलान बिहार की राजनीति में नया मोड़ है। यह कदम महुआ सीट को और भी चर्चित बना रहा है। जहां पहले से ही तेज प्रताप यादव और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला था, अब बच्चा राय ने इसे त्रिकोणीय बना दिया है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि टॉपर्स घोटाले की छाया से निकलकर बच्चा राय किस हद तक जनता का विश्वास जीत पाते हैं।
