पटना में बीए की छात्रा ने की आत्महत्या, फांसी लगाकर खत्म की जिंदगी

पटना। बाढ़ क्षेत्र से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहां एक बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा ने आत्महत्या कर ली। यह घटना बुधवार की सुबह हुई और मृतका की पहचान लखीसराय जिले के डुमरी गांव की रहने वाली 19 वर्षीय मेधा कुमारी के रूप में हुई है। मेधा भागलपुर में स्नातक की पढ़ाई कर रही थी और पिछले एक साल से अपनी मां के साथ बाढ़ शहर में किराए के मकान में रह रही थी। जानकारी के अनुसार, मंगलवार रात करीब 3:30 बजे तक मेधा अपनी मां के साथ जगी रही। इसके बाद मां पास के कमरे में जाकर सो गईं। सुबह करीब 4 बजे के आसपास मेधा ने घर के अंदर फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी। जब परिवार को इसकी सूचना मिली तो पूरे घर में कोहराम मच गया। घटना स्थल पर बाढ़ कचहरी चौक के पास का लंगरपुर क्षेत्र बताया जा रहा है। आत्महत्या के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को जानकारी दी। डायल 112 की पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और जांच शुरू की। मेधा का परिवार पहले से ही कई कठिनाइयों का सामना कर रहा था। उसके पिता का निधन आठ साल पहले ही हो चुका था। इसके अलावा उसका एक भाई प्रिंस तीन साल से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता है, जिसकी शिकायत मेधा की मां ने भागलपुर पुलिस में दर्ज कराई थी। दूसरा भाई ओडिशा में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। इस वजह से घर में फिलहाल मेधा की मां और उसकी एक बहन ही मौजूद थीं। आर्थिक तंगी और पारिवारिक समस्याओं ने इस परिवार को पहले से ही गहरे संकट में डाल रखा था। फिलहाल पुलिस को घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। मेधा के मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया है और उसकी कॉल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) की जांच की जा रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वजह सामने लाई जा सके। जांच अधिकारी का कहना है कि मोबाइल डाटा और कॉल हिस्ट्री से इस मामले में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी गहरे विचार का विषय है। पढ़ाई कर रही एक युवा छात्रा, जो अपने भविष्य के सपनों के साथ संघर्ष कर रही थी, ने आखिर ऐसी नौबत में क्यों कदम उठाया? पारिवारिक संकट, आर्थिक स्थिति और मानसिक तनाव जैसे कई कारक इस तरह के मामलों में अहम भूमिका निभाते हैं। मेधा कुमारी की मौत से उसके परिवार में गहरा दुख छा गया है। पहले ही अपने पति और बेटे को खो चुकी मां पर यह एक और बड़ा आघात है। पुलिस की जांच में आत्महत्या की असली वजहें सामने आने के बाद ही इस मामले की सच्चाई स्पष्ट होगी। लेकिन इतना तय है कि यह घटना समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—कि आखिर किस तरह से हम अपने युवाओं और बच्चों को मानसिक और भावनात्मक सहारे के बिना अकेला छोड़ रहे हैं।
