आजम खान और उनके बेटे को 7 साल की सजा, पैन कार्ड मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया फैसला
रामपुर। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने फर्जी पैन कार्ड मामले में दोषी पाते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई है। फैसले के साथ ही कोर्ट ने दोनों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सजा घोषित होते ही पुलिस ने दोनों को कोर्ट परिसर से ही हिरासत में ले लिया। अब दोनों को फिर से जेल भेजा जाएगा। यह मामला 2019 में दर्ज किया गया था और इसमें लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने सोमवार को अपना निर्णय सुनाया। फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है।
मामले की शुरुआत कैसे हुई
फर्जी पैन कार्ड मामले की शिकायत रामपुर के भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने 2019 में सिविल लाइंस थाने में की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आजम खान ने अपने बेटे को चुनाव लड़वाने के उद्देश्य से दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए। आरोप के अनुसार, अब्दुल्ला आजम की वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है। इस आधार पर वे वर्ष 2017 में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे, क्योंकि उनकी उम्र उस समय 25 वर्ष पूरी नहीं हुई थी। इसी कारण, अभियोजन पक्ष का दावा था कि आजम खान ने दूसरी जन्मतिथि 1990 दर्शाकर एक और पैन कार्ड बनवाया ताकि चुनाव में भागीदारी की बाधा दूर हो सके।
अदालत का फैसला और सजा
अदालत ने सभी साक्ष्यों की समीक्षा के बाद दोनों को दोषी करार दिया। चूंकि अपराध गंभीर प्रकृति का है और इसमें सरकारी दस्तावेजों की फर्जीवाड़े की बात शामिल है, इसलिए कोर्ट ने कठोर सजा सुनाई। फैसले के बाद आजम खान और उनके बेटे को अदालत परिसर में ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अब दोनों को जेल भेजा जाएगा। यह मामला आजम खान के खिलाफ चल रहे कई मामलों की श्रृंखला में एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
राजनीतिक और कानूनी पृष्ठभूमि
आजम खान हाल ही में 23 सितंबर को सीतापुर जेल से रिहा हुए थे। वहीं, उनके बेटे अब्दुल्ला 9 महीने पहले हरदोई जेल से बाहर आए थे। दोनों के खिलाफ पहले से कई मुकदमे लंबित हैं। इस मामले में दी गई 7 साल की सजा के कारण उन्हें राहत मिलने की संभावना कम है। यदि सजा 5 साल होती, तो पिछले सजावधि को ध्यान में रखते हुए कोर्ट उन्हें जमानत दे सकती थी। लेकिन 7 साल की सजा के चलते अब यह विकल्प फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
हाईकोर्ट में अपील की तैयारी
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, दोनों को 30 दिनों के भीतर इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार है। उनके वकील कोर्ट के जजमेंट का विस्तृत अध्ययन करेंगे और उन बिंदुओं की पहचान करेंगे जिनके आधार पर ऊपरी अदालत में चुनौती दी जा सके। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट में अपील दाखिल होने के बावजूद सजा के क्रियान्वयन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा और दोनों को जेल भेजना ही होगा।
शिकायतकर्ता की प्रतिक्रिया
शिकायत दर्ज कराने वाले भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह “सत्य की जीत” है। उन्होंने कहा कि आजम खान के खिलाफ चल रहे सभी मामलों में दस्तावेजी साक्ष्य स्पष्ट हैं और इसी आधार पर अदालत ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए समान है और किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा होने पर दंड मिलना स्वाभाविक है। उनके अनुसार, न्यायालय का यह निर्णय लोकतंत्र में विश्वास को और मजबूत करता है। आजम खान और उनके बेटे के खिलाफ आया यह फैसला राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दोनों समाजवादी पार्टी के प्रमुख चेहरों में शामिल रहे हैं। फर्जी दस्तावेज बनाने जैसी गंभीर धाराओं में मिली 7 साल की सजा उनके राजनीतिक भविष्य पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकती है। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट में होने वाली अपील और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर टिकी होंगी। फिलहाल, रामपुर की अदालत के इस निर्णय ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है।


