January 1, 2026

देश में घरों की बढ़ी कीमतों पर राहुल गांधी का हमला, कहा- सरकार ने गरीबों से सपने देखने का छीना अधिकार

नई दिल्ली। देश में घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं और इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते अब आम गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों से अपने सपने देखने का हक भी छिनता जा रहा है। राहुल गांधी ने यह बातें अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए कहीं, जिसमें बताया गया था कि मुंबई जैसे महानगर में अब एक आम व्यक्ति के लिए घर खरीदना लगभग असंभव हो गया है।
मुंबई में घर खरीदने के लिए 109 साल की बचत की ज़रूरत
राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि देश के सबसे अमीर 5 प्रतिशत शहरी परिवारों को भी मुंबई में घर खरीदने के लिए अपनी आय का 30 प्रतिशत हिस्सा लगातार 109 वर्षों तक बचाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर देश के सबसे संपन्न वर्ग की यह स्थिति है, तो गरीब और मध्यम वर्ग के लिए तो घर सिर्फ एक सपना बनकर रह गया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि देश के अधिकतर महानगरों की स्थिति भी कुछ इसी तरह की है। जहां आम लोग अवसरों और सफलता की तलाश में दिन-रात मेहनत करते हैं, वहीं उन्हें रहने के लिए एक घर हासिल करना लगभग असंभव होता जा रहा है।
सपने देखने का अधिकार भी छिन गया
राहुल गांधी ने इस विषय को भावनात्मक पहलू से जोड़ते हुए कहा कि हर व्यक्ति के दिल में यह सपना होता है कि एक दिन उसका अपना घर होगा। लेकिन जब यह सपना भी 100 वर्षों से ज्यादा दूर हो जाए, तो इसका मतलब है कि सरकार ने गरीबों से सपने देखने का अधिकार भी छीन लिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इतनी भारी-भरकम बचत कहां से आएगी? गरीब और मध्यम वर्ग के पास तो विरासत में संपत्ति नहीं होती, बल्कि जिम्मेदारियां मिलती हैं। बच्चों की महंगी शिक्षा, इलाज की बढ़ती लागत, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल और परिवार के लिए एक छोटी कार जैसी बुनियादी जरूरतें ही उनकी पूरी कमाई खा जाती हैं।
घर अब सपने से भी परे
कांग्रेस नेता ने सरकार की अर्थव्यवस्था पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगली बार जब कोई आपको देश की जीडीपी के ऊंचे आंकड़े बताए, तो उन्हें अपने घरेलू बजट की असलियत दिखाएं। पूछें कि आखिर यह विकास किसके लिए है? अगर आम आदमी की जिंदगी और ज्यादा मुश्किल होती जा रही है, तो फिर यह आर्थिक वृद्धि सिर्फ आंकड़ों तक सीमित है। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि यह अर्थव्यवस्था केवल अमीरों के लिए है, जहां उनका लाभ और आराम बढ़ता जा रहा है, जबकि गरीबों की परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
हर परिवार को चाहिए एक सुरक्षित आशियाना
राहुल गांधी ने अंत में कहा कि हर भारतीय परिवार को एक आरामदायक छत और चार दीवारों की जरूरत होती है। यह कोई विलासिता नहीं बल्कि एक बुनियादी अधिकार है। लेकिन दुर्भाग्यवश आज के समय में यह अधिकार भी केवल कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रह गया है। घर की कीमतें इतनी बढ़ चुकी हैं कि एक सामान्य व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी की कमाई और बचत लगाने के बावजूद भी शायद ही कभी खुद का घर खरीद सके। राहुल गांधी की यह टिप्पणी न सिर्फ सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना है, बल्कि यह आम लोगों के दर्द और असहायता की गूंज भी है। जब देश के नेताओं की ओर से ऐसी आवाज़ें उठती हैं, तो यह सवाल खड़ा होता है कि क्या देश की तरक्की वाकई सबके लिए है या फिर यह तरक्की भी सिर्फ अमीरों तक ही सीमित रह गई है।

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