समस्तीपुर में एएसआई की बर्बरता: युवक को बेरहमी से पीटा, तीसरी मंजिल से फेंकने का आरोप, लोगों ने किया हंगामा
समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले से पुलिस की क्रूरता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दलसिंहसराय थाना क्षेत्र के रामपुर जलालपुर गांव में एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) पर आरोप लगा है कि उसने एक युवक को न केवल बेरहमी से पीटा बल्कि छात्रावास की तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया। इस घटना के बाद इलाके में भारी आक्रोश फैल गया और ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया। फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी एएसआई पर कार्रवाई की बात कही जा रही है।
घटना का पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, यह घटना सोमवार देर शाम की है। बिहार विधानसभा चुनाव ड्यूटी के लिए समस्तीपुर पहुंचे एक एएसआई का वार्ड संख्या 21 के रहने वाले युवक मनीष कुमार से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि एएसआई ने पहले मनीष को चौक पर ही पीटना शुरू कर दिया। ग्रामीणों के मुताबिक, एएसआई ने युवक को सड़क पर बुरी तरह मारा-पीटा और बाद में उसे जबरन पास के पीटीसी टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के छात्रावास में ले गया। छात्रावास में आरोपी एएसआई ने युवक के साथ और भी अमानवीय व्यवहार किया। बताया जा रहा है कि उसने मनीष को लाठी और पिस्टल के बट से पीटा। प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि मारपीट के दौरान एएसआई ने पिस्टल से वार किया, जिससे मनीष का एक दांत टूट गया। इसके बाद आरोपी ने उसे छात्रावास की तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया।
घायल मनीष की हालत गंभीर
तीसरी मंजिल से गिरने के बाद मनीष गंभीर रूप से घायल हो गया। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने उसे तुरंत उठाया और पुलिस को सूचना दी। स्थानीय लोगों की मदद से उसे पहले दलसिंहसराय अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई और उसे समस्तीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, युवक को सिर, कमर और पैर में गंभीर चोटें आई हैं। फिलहाल उसका इलाज जारी है।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण पीटीसी कॉलेज परिसर के गेट पर जुट गए और हंगामा शुरू कर दिया। लोगों ने आरोपी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी की मांग की। गुस्साए ग्रामीणों ने कॉलेज परिसर में तोड़फोड़ भी की और कई कुर्सियां, टेबल व गेट को नुकसान पहुंचाया। कुछ देर के लिए माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया। डीएसपी विवेक कुमार शर्मा खुद मौके पर पहुंचे और स्थिति को शांत कराया। उन्होंने लोगों से धैर्य बनाए रखने और जांच पर भरोसा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि “कानून हाथ में लेने की जरूरत नहीं है। दोषी पाए जाने पर संबंधित पुलिसकर्मी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस की जांच शुरू, सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे
घटना के बाद समस्तीपुर पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पीटीसी कॉलेज परिसर और उसके आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है ताकि घटना की सच्चाई सामने आ सके। अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि विवाद किस वजह से हुआ और क्या वास्तव में एएसआई ने युवक को तीसरी मंजिल से धक्का दिया। पुलिस ने यह भी कहा कि जांच के बाद ही आरोपी एएसआई के खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाए जाएंगे। अभी तक एएसआई का बयान दर्ज नहीं किया जा सका है, जबकि पीड़ित मनीष का इलाज चल रहा है और उसके बयान के बाद ही घटनाक्रम की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।
प्रशासन की सफाई और आगे की कार्रवाई
डीएसपी विवेक शर्मा ने बताया कि फिलहाल प्राथमिक जांच में यह मामला गंभीर प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आरोपी एएसआई की गलती साबित होती है तो उस पर निलंबन के साथ-साथ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। फिलहाल पुलिस लाइन में उसे रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पुलिस की छवि को धूमिल करती हैं और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
इलाके में तनाव और लोगों की नाराजगी
घटना के बाद रामपुर जलालपुर और आसपास के गांवों में तनाव का माहौल है। लोग पुलिस की कार्रवाई पर नजर बनाए हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पुलिस की मनमानी को दर्शाती हैं। एक ग्रामीण ने कहा, “अगर पुलिस ही कानून तोड़ेगी, तो जनता न्याय के लिए कहां जाएगी।” लोगों ने मांग की है कि मनीष को न्याय मिले और दोषी एएसआई को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
पुलिस पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बिहार पुलिस के कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य में पहले भी कई बार पुलिसकर्मियों पर अत्यधिक बल प्रयोग और नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार के आरोप लगते रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने भी इस तरह की घटनाओं पर चिंता जताई है। समस्तीपुर की यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है। एक ओर जहां चुनावी माहौल में प्रशासन सख्ती और निष्पक्षता का दावा कर रहा है, वहीं इस तरह की घटनाएं उस छवि को कमजोर करती हैं। मनीष कुमार के साथ हुई इस बर्बरता ने जनता के बीच आक्रोश और अविश्वास दोनों को जन्म दिया है। फिलहाल जांच जारी है, लेकिन लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या आरोपी एएसआई को वाकई सज़ा मिल पाएगी या मामला दबा दिया जाएगा। यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि कानून का पालन कराने वालों को भी कानून की सीमाओं का सम्मान करना चाहिए, वरना जनता का भरोसा टूटना तय है।


