‘हम’ का अशोक चौधरी को चुनौती, कहा- हिम्मत है तो बिहार के किसी सीट को चुनें, हमारा साधारण कार्यकर्ता चुनाव में पटक देगा

पटना। बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ का महागठबंधन से अलग होने के साथ शुरू हुआ सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है। मांझी की पार्टी हम ने JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बाद नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी को निशाने पर लिया है। बता दे की हम पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने अशोक चौधरी को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अशोक चौधरी में हिम्मत है तो सीट चुनें बिहार से कहीं भी, हमारी पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता भी अगर उनको चुनाव में पटक न दे तो हम उनकी बात स्वीकार कर लेंगे। उन्होंने कहा की एक भी दलित उनको अपना नेता नहीं मानता है। इसलिए नहीं मानता है कि उन्होंने कब का दलितों का त्याग कर दिया। सच तो यह है कि उन्होंने अपने पैतृक गांव में जिस दलित बस्ती में जन्म लिया उस जमीन और मकान को भी बेच दिया, जो यह दर्शाने को काफी है कि उनको दलितों से कितनी नफरत है! उनको दलितों के बीच में जाकर यह बताना चाहिए कि आखिर उनको दलितों से इतनी दूरी क्यों है! वही इस मौके पर प्रेस कांफ्रेस में संगठन सह बिहार प्रभारी राजन सिद्दीकी, किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजीत कुमार चंद्रवंशी, राष्ट्रीय प्रवक्ता पूजा सिंह, प्रदेश महासचिव रामविलास रजक, प्रदेश महासचिव आकाश कुमार, पटना महानगर अध्यक्ष, अनिल रजक, प्रदेश मिडिया प्रभारी श्रवण कुमार गिरिधारी सिंह आदि मौजूद रहे। श्याम सुंदर ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पढ़ा-लिखा नौजवान उसमें भी खास करके दलित और अति पिछड़ा में पसंद नहीं करते। आज जो संतोष मांझी पर दबाव बना कर मंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर करने का काम इन लोगों के द्वारा किया गया और महागठबंधन से बाहर किया गया उसका एकमात्र कारण है कि संतोष मांझी पढ़े-लिखे, सुसंस्कारित और सुविचारित नेता हैं। गरीब संपर्क की यात्रा पर जब वे निकले और उनसे जब लोग प्रभावित होने लगे और एक हुजूम उमड़ा और लगा कि अब बिहार में एक नया नेतृत्व पैदा हो जाएगा दलित वर्ग से तो उनके पेट में दर्द हो गया। उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव को हर उस नौजवान से दिक्कत है जो जनता के बीच में अपनी एक महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराता है। चाहे वह चिराग हों, चाहे कन्हैया हों, चाहे मुकेश सहनी हों, चाहे संतोष मांझी हों या कोई और हों।
आरजेडी कोटा के दो मंत्री पद क्यों खाली?
उन्होंने आगे कहा कि महागठबंधन के लोग सवर्णों को भी मंत्रिमंडल में रखना ही नहीं चाहते हैं। भूमिहार और राजपूत कोटे से आने वाले उन दोनों मंत्रियों के विकल्प के तौर पर आखिर क्यों नहीं राजद किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद देने का काम कर रही है।

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