December 8, 2025

अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर पर किया मानहानि का मुकदमा, बोले- अब बहुत हुआ, सुप्रीम कोर्ट तक जाऊंगा

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मामला है मानहानि का, जिसमें नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। अशोक चौधरी का कहना है कि अब बात हद से गुजर चुकी है और वे इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे। यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी बेटी को सांसद बनवाने के लिए टिकट खरीदा। पीके के इस बयान को अशोक चौधरी ने न केवल असत्य बताया, बल्कि इसे उनकी और उनके परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला करार दिया।
कानूनी नोटिस के बाद की कार्रवाई
अशोक चौधरी ने बताया कि उन्होंने प्रशांत किशोर को पहले कानूनी नोटिस भेजा था। इस नोटिस का जवाब जरूर आया, लेकिन जवाब से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि पीके अपने बयान को लेकर पछता रहे हैं या माफी मांगने को तैयार हैं। मंत्री चौधरी ने कहा कि जवाब से संतोष नहीं मिला और उनके पास कानूनी रास्ता अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
सियासी चरित्र और आरोपों की चुनौती
पत्रकारों से बातचीत में अशोक चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर राजनीति को व्यापार की तरह चलाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पीके राजनीतिक दलों से पैसे लेकर काम करते हैं और दूसरों के राजनीतिक सफर पर कीचड़ उछालते हैं। अशोक चौधरी ने साफ कहा कि वे शुद्ध राजनीति करते हैं और किसी भी तरह की सौदेबाजी में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी शांभवी चौधरी एक पढ़ी-लिखी युवती हैं, जिन्होंने दलित समाज से आते हुए सांसद बनकर एक उदाहरण पेश किया है। यह बात कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही है और इसी वजह से झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी
अशोक चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि यदि प्रशांत किशोर इस बात को प्रमाणित नहीं करते कि उन्होंने पैसे देकर टिकट लिया, तो उन्हें माफी मांगनी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे क्योंकि यह सिर्फ व्यक्तिगत मान-सम्मान का नहीं बल्कि उनके समाज और उनके राजनीतिक जीवन की प्रतिष्ठा का सवाल है।
समाज का प्रतिनिधित्व और संघर्ष का जिक्र
मंत्री अशोक चौधरी ने भावुक अंदाज में कहा कि वे उस समाज से आते हैं, जिसे वर्षों तक राजनीतिक रूप से दबाया गया। अब जब उस समाज की एक पढ़ी-लिखी लड़की संसद में पहुंची है तो कुछ लोगों को यह बात रास नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाया-लिखाया सिर्फ इसलिए नहीं कि वे विधायक या सांसद बनें, बल्कि इसलिए कि वे अपने समाज की आवाज बन सकें।
राजनीतिक असर और संभावनाएं
यह मामला सिर्फ दो नेताओं के बीच का विवाद नहीं रह गया है। इसका असर बिहार की राजनीतिक फिजा पर भी पड़ सकता है। जहां एक ओर प्रशांत किशोर खुद को जन आंदोलनों का प्रतिनिधि बताते हैं, वहीं अशोक चौधरी सत्ता पक्ष के मजबूत नेता माने जाते हैं। दोनों नेताओं के बीच यह टकराव आगे चलकर बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है—कि क्या किसी भी नेता को बिना सबूत सार्वजनिक मंच से दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने का हक है या नहीं। अशोक चौधरी और प्रशांत किशोर के बीच यह विवाद अब कानूनी रास्ते पर है। आने वाले समय में अदालत इस बात का फैसला करेगी कि पीके का बयान अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है या यह मानहानि के अंतर्गत आता है। लेकिन फिलहाल, यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में यह मामला एक लंबी बहस की जमीन तैयार कर चुका है।

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