पटना में दुर्गा पूजा विसर्जन के लिए बनेंगे 10 आर्टिफिशियल तालाब, नदी में विसर्जन करने पर लगेगा जुर्माना
पटना। पटना में इस बार दुर्गा पूजा के अवसर पर मूर्ति विसर्जन को लेकर प्रशासन की ओर से सख्त और व्यापक तैयारी की जा रही है। शहर में गंगा नदी की स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए पटना नगर निगम ने निर्णय लिया है कि इस बार मूर्ति विसर्जन सीधे गंगा में नहीं होगा। इसके लिए शहर के विभिन्न घाटों और अन्य प्रमुख जगहों पर दस आर्टिफिशियल तालाब बनाए जाएंगे। यह कदम पहली बार इतने बड़े स्तर पर उठाया जा रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य नदी को प्रदूषण से बचाना है।
त्योहार और स्वच्छता की चुनौती
नवरात्रि के दौरान पटना में हजारों छोटे और बड़े पंडाल सजाए जाते हैं। नौ दिनों की पूजा-अर्चना के बाद जब मूर्तियों का विसर्जन होता है, तो उसका सबसे बड़ा असर गंगा नदी और शहर की सफाई पर पड़ता है। मूर्तियों में इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टर, रंग, कपड़े और प्लास्टिक की सामग्री नदी के जल को प्रदूषित कर देती है। यह न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा मसला है बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर समस्या है। इसी चुनौती को देखते हुए इस बार प्रशासन ने एक नया प्रयोग करने का फैसला लिया है।
आर्टिफिशियल तालाबों का निर्माण
नगर निगम की योजना के अनुसार पटना में इस बार दस आर्टिफिशियल तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। इन तालाबों को विशेष रूप से इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि मूर्ति विसर्जन की पूरी प्रक्रिया आसानी और सुरक्षित तरीके से पूरी हो सके। इन तालाबों के आसपास पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रहेगी और साफ-सफाई की जिम्मेदारी भी निगम के अधिकारियों के पास होगी। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि पूजा समितियों और आम श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और साथ ही गंगा की स्वच्छता भी बनी रहे।
निगम की सख्त हिदायतें
नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने चेतावनी दी है कि इस बार पटना नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों और तालाबों के अलावा कहीं और विसर्जन करने पर सख्त कार्रवाई होगी। उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी समिति या व्यक्ति नियमों को ताक पर रखकर मूर्ति या पूजा सामग्री को सीधे गंगा में न डाले।
पूजा समितियों की भूमिका
नगर निगम ने यह भी तय किया है कि सभी पूजा समितियों को समय रहते इसकी जानकारी दी जाएगी। समितियों को यह बताया जाएगा कि उन्हें अपने पंडालों से मूर्तियों को निकालकर केवल उन्हीं तालाबों तक ले जाना है जिन्हें नगर निगम ने निर्धारित किया है। इसके साथ ही पूजन सामग्री जैसे फूल, कपड़े, नारियल, फल आदि को भी इन्हीं तालाबों में विसर्जित करना होगा। निगम द्वारा हर समिति तक जागरूकता संदेश पहुंचाने की भी तैयारी चल रही है।
प्लास्टिक मुक्त अभियान
इस बार मूर्ति विसर्जन को प्लास्टिक मुक्त बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। नगर निगम की विशेष टीमें तालाबों और घाटों पर मौजूद रहेंगी, जो लोगों को प्लास्टिक बैग, रैपर और पॉलीथिन के प्रयोग से बचने की अपील करेंगी। यहां तक कि जिन वस्तुओं को विसर्जन के लिए तालाबों में लाना जरूरी है, उन्हें प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल सामग्री में लाने की अपील की जा रही है। यह कदम न केवल तालाबों की सफाई को आसान बनाएगा बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा।
प्रशासनिक स्तर पर जिम्मेदारी
नगर निगम ने अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष जिम्मेदारियां दी हैं। इसमें तालाब बनाने से लेकर मूर्ति विसर्जन के दिन तक की सफाई और सुरक्षा व्यवस्था शामिल है। निगम का मानना है कि यदि इस प्रयोग को सफलतापूर्वक किया गया तो आने वाले वर्षों में भी इसे लागू किया जाएगा और गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
आस्था और पर्यावरण का संतुलन
दुर्गा पूजा श्रद्धा और आस्था का पर्व है, लेकिन इसके साथ ही समाज और प्रकृति की रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है। प्रशासन का मानना है कि आस्था का सम्मान करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। यही कारण है कि आर्टिफिशियल तालाबों का निर्माण न केवल एक प्रशासनिक प्रयोग है बल्कि एक सांस्कृतिक संदेश भी है कि हमारी परंपराएं प्रकृति के साथ संतुलित रहनी चाहिए। पटना नगर निगम का यह प्रयास शहर और राज्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। गंगा नदी की स्वच्छता देशभर में एक बड़ा अभियान है और इसे सफल बनाने के लिए हर छोटे-बड़े प्रयास मायने रखते हैं। इस बार दस आर्टिफिशियल तालाब न केवल मूर्ति विसर्जन की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाएंगे। पटना के नागरिकों और पूजा समितियों की सहभागिता ही इस योजना को सफल बनाएगी और यही भविष्य में गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का आधार बनेगा।


