सीतामढ़ी में राजस्व कर्मी रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार, निगरानी विभाग की टीम ने दबोचा

सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। पुपरी अंचल के राजस्व कर्मचारी और प्रभारी अंचल निरीक्षक भोगेन्द्र झा को निगरानी विभाग की टीम ने 51,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया। यह घटना बिहार में सरकारी कार्यों में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करती है। भोगेन्द्र झा के खिलाफ दाखिल-खारिज के काम में रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। निगरानी विभाग ने शिकायत की सत्यता की जांच की और आरोप सही पाए जाने पर कार्यवाही शुरू की। सोमवार की सुबह निगरानी विभाग ने पूरी तैयारी के साथ एक जाल बिछाया। जैसे ही पीड़ित ने झा को रिश्वत की राशि सौंपी, टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद राजस्व कर्मी को पटना ले जाया गया, जहां उससे आगे की पूछताछ की जाएगी। यह मामला सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और आम नागरिकों को होने वाली परेशानियों को दिखाता है। दाखिल-खारिज जैसे सामान्य कार्यों में भी भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि लोग मजबूरी में रिश्वत देने को विवश हैं। यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि क्या आम जनता के लिए सरकारी सेवाओं तक पहुंच इतनी कठिन हो गई है कि बिना रिश्वत दिए कोई काम संभव नहीं? गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है जब निगरानी विभाग ने किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा हो। कुछ महीने पहले मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी अंचल में तत्कालीन सीओ पंकज कुमार को भी 20,000 रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था। यह घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि बिहार में सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किस हद तक किया जा रहा है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए निगरानी विभाग जैसे संस्थान बनाए हैं, लेकिन इन मामलों की बढ़ती संख्या से यह साफ है कि केवल निगरानी विभाग के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए प्रशासनिक सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय, और सख्त दंडात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि आम जनता को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता भी दर्शाती है कि सरकारी संस्थाएं उनकी सेवा के लिए हैं, न कि उन्हें शोषित करने के लिए। निगरानी विभाग की इस कार्रवाई ने एक सकारात्मक संदेश दिया है, लेकिन इसे भ्रष्टाचार पर निर्णायक रोक लगाने के लिए और मजबूत बनाने की जरूरत है। इस प्रकार, सीतामढ़ी की यह घटना प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक चेतावनी है और सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए।

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