September 12, 2025

बिहार में कंप्यूटर साइंस शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से मांगा जवाब, 7 अक्टूबर को अगली सुनवाई

पटना। बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। कंप्यूटर साइंस विषय के शिक्षकों की नियुक्ति में अयोग्य उम्मीदवारों को शामिल किए जाने का आरोप लगने के बाद पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से जवाब-तलब किया है। अदालत ने शिक्षा विभाग को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। जस्टिस हरीश कुमार की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर 2025 को होगी।
अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा में कंप्यूटर साइंस विषय के तहत नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं। विज्ञापन संख्या 26/2023 के अनुसार केवल वही अभ्यर्थी नियुक्ति के पात्र थे जिन्होंने तय समय तक एसटीईटी या टीईटी परीक्षा पास की थी। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया जो इन परीक्षाओं में सफल नहीं हुए थे। आरोप लगाया गया कि विभाग की मिलीभगत से अयोग्य उम्मीदवारों को शामिल किया गया और योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया।
मेरिट लिस्ट में संशोधन नहीं होने का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि विभाग ने अब तक संशोधित मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है। योग्य उम्मीदवारों के बजाय अन्य उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र देने से न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है बल्कि राज्य के योग्य युवाओं का हक भी छिना है। आरोप यह है कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही और विभाग ने लापरवाही बरती।
पूर्व में दाखिल हलफनामा और कोर्ट की नाराजगी
राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने पूर्व में अदालत में हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति को गलत करार दिया गया। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला माना और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
अगली सुनवाई और अदालत की उम्मीद
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना जरूरी है। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी, जहाँ शिक्षा विभाग से जवाब लिया जाएगा। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि विभाग उचित हलफनामा नहीं देता है तो आगे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। कोर्ट का मानना है कि योग्य उम्मीदवारों के साथ न्याय होना चाहिए और भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव
यह मामला सिर्फ कंप्यूटर साइंस शिक्षकों की नियुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। यदि अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जाती है तो इससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी और विद्यार्थियों की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ सकता है। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताएँ दोबारा न हों। हाईकोर्ट का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। योग्य उम्मीदवारों के हितों की रक्षा और नियुक्ति प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखने के लिए अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अब 7 अक्टूबर की सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या जवाब देता है और आगे की कार्रवाई कैसी होती है। यह मामला बिहार में शिक्षा से जुड़े हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और न्याय सुनिश्चित होगा।

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