लोजपा (रा) ने नीतीश सरकार पर JDU नेता को आर्थिक लाभ पहुंचाने का लगाया आरोप, विनीत बोले- इसके एवज में मोटी रकम की हुई वसूली

पटना। लोजपा (रा) ने बिहार की नीतीश सरकार पर JDU नेताओं और उनके परिजनों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। पार्टी के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रवक्ता विनीत सिंह ने कहा कि जहानाबाद से JDU सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने सारे कायदे-कानून को ताक पर रख दिया। इसके एवज में मोटी रकम भी वसूली गई है। लोजपा (रा) प्रवक्ता विनीत ने कहा कि गुणवत्ता और bid प्राइस टेंडर मिलने के मापदंड थे तो केवल बीड प्राइस को ही क्यों माना गया? इसके बाद राजद के 3 विधायकों (मुकेश कुमार रोशन, ऋषि कुमार और भाई वीरेंद्र) ने स्वस्थ मंत्री को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि किसी अधिकारी ने मेल के द्वारा बीड इंफॉर्मेशन लीक किया है। लेकिन तेजस्वी यादव के आते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। लोजपा (रा) प्रवक्ता ने पूछा कि टेंडर में जब अकेला bidder हो तो ओरिजिनल के अनुसार, उसको 750 एंबुलेंस, 50 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस और 75 सीट का एक कॉल सेंटर चलाने का अनुभव होना चाहिए। लेकिन पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (PDPL) को अकेले एंबुलेंस चलाने का अनुभव नहीं था। उनके पास केवल 50 सीट का ही कॉल सेंटर था, लेकिन स्टेट हेल्थ सोसाइटी ऑफ बिहार (SHSB) ने एडवांस एंबुलेंस कि संख्या घटाकर 40 कर दिया और कॉल सेंटर के सीट को 50 कर दिया। क्यों? आगे विनीत ने कहा कि टेंडर के नियमानुसार, बीड करने वाली कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ का होना चाहिए। लेकिन, पशुपतिनाथ ने अपने ग्रुप कंपनीज का कंसोलिडेटेड टर्नओवर 100 करोड़ दिखाया। जिसको डिपार्टमेंट ने नजरअंदाज कर दिया।

जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस को मेरिट पर हाईकोर्ट देखेगा तो इतनी जल्दी बाजी क्या थी की 15 दिन में लेटर ऑफ इंटेंट निर्गत कर दिया गया। इस बात को लेकर संजय कुमार सिंह, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (SHBS) से कारण पूछा गया तो उनका कहना है कि हमने एडवोकेट जनरल पीके शाही के सलाह पर यह कदम उठाया था, क्योंकि सरकार को 2.5 करोड़ प्रति माह का नुकसान हो रहा था। यह आंकड़ा कैसे आया, मालूम नही! यहां यह बताना जरूरी है कि एडवोकेट जनरल पीके शाही पहले PDPL के वकील थे। आगे विनीत का कहना है कि 2017-22 में भी इसी कंपनी के कंसोर्टियम को 650 एंबुलेंस चलाने का 400 करोड़ का टेंडर मिला था और इस बार भी इसी कंपनी को 1600 करोड़ का फ्रेश टेंडर मिला है जबकि ग्लोबल टेंडरिंग हुआ था। क्या यह महज इत्तेफाक है या सोची-समझी प्लानिंग है? उस समय जदयू के सांसद महोदय MLC थे। PDPL गुणवत्ता के मामले में भी फिसड्डी साबित हुई है। स्टेट रिसोर्स यूनिट (SRU) केयर (CARE) का अंग है जो नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत काम करता है। जब उसने इन एंबुलेंस का निरक्षण किया तो कई अनिमतता पाई गई। जैसे ही खाली ऑक्सीजन सिलेंडर, एक्सपायर्ड दवाइयां, बंद एयर कंडीशन आदि। स्टेट हेल्थ सोसाइटी ऑफ बिहार ने भी इस बात को उठाया था। वही लोजपा (रा) नेता ने जदयू सांसद के परिवार को 2 बार एंबुलेंस मैनेज का टेंडर मिलने को एक सुनियोजित साजिश करार दिया है और सरकार पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर सांसद फैमिली को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।

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