बिहार में हैंड-फुट-माउथ वायरस पर स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट, मुजफ्फरपुर में 5 केस मिलने से हडकंप

मुजफ्फरपुर। बिहार में हैंड फुट माउथ नामक नये वायरस ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। मुजफ्फरपुर में हैंड फुट माउथ बीमारी के अब तक पांच केस मिले हैं। पहला केस मंगलवार को मिला था, उसके बाद बुधवार को चार नये और केस की भी पुष्टि हुई है। बुधवार को एक निजी डॉक्टर की क्लिनिक में सभी केस की पुष्टि हुई। जिसके बाद मुजफ्फरपुर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। सिविल सर्जन डॉ। उमेश चंद्र शर्मा ने सभी पीएचसी और सीएससी को अलर्ट मोड पर रखने को कहा है। जिन बच्चों में इस बीमारी की पुष्टी हुई है, वो सभी एक ही निजी स्कूल के बताये गये हैं। जिसके बाद सीएस द्वारा सभी सरकारी अस्पताल के साथ-साथ निजी अस्पताल के लिए भी अलर्ट जारी किया गया है। इस मामले में सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि एक निजी चिकित्सक के यहां इस तरह के केस की जानकारी मिली है। जिले के सभी पीएचसी को अलर्ट कर दिया गया है और अगर किसी भी पीएचसी और सीएचसी में ऐसे लक्षण वाले मरीज आते हैं तो इसकी सूचना विभाग को देना है।
क्या है माइल्ड वायरल डिजीज
डॉक्टरों की राय में यह माइल्ड वायरल डिजीज है। इससे ज्यादा खतरा नहीं होता है। लेकिन बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। यह बीमारी बच्चों में ज्यादा पायी जाती है। ये बीमारी मुख्य रूप से दस साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यहां भी जिन बच्चों में यह परेशानी पायी गयी है, वे पांच साल से कम उम्र के हैं। जो बच्चे चाइल्ड केयर में रहते हैं, उनमें ये डिसीज होने का ज्यादा खतरा होता है। बीमारी के दौरान बच्चे को लिक्विड देते रहें।
हैंड फुट माउथ डिजीज के लक्षण
इस बीमारी में बुखार, अस्वस्थ होने का एहसास, मुंह के अंदर, जीभ पर और मसूड़ों पर लाल पानी वाले छाले, हाथ और पैरों पर बिना खुजली वाले लाल दाने, बच्चों में चिड़चिड़ापन, भूख ना लगना ये सभी लक्षण देखने को मिलते हैं। बुखार होने के एक या दो दिन बाद मुंह या गले पर दाने हो सकते हैं। उसके बाद आने वाले एक या दो दिन में हाथ, पैर और बच्चे के हिप्स पर भी ये दाने दिखने लगते हैं।
बच्चे को खाने में परेशानी होती है
मुंह और गले के पीछे होने वाले दानों और रैशेज से पता चलता है कि आपके बच्चों को यह वायरल इंफेक्शन हो गया है, जिसे हर्पंगिना कहा जाता है। हर्पंगिना की वजह से अचानक तेज बुखार होता है। हाथ, पैर या शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाले घाव कम ही बच्चों को होते हैं। इसका ज्यादा असर बच्चे के चेहरे और मुंह पर पड़ता है। इन दानों की वजह से बच्चे को खाने में परेशानी होती है।
हैंड फुट माउथ डिजीज के उपचार
हैंड फुट माउथ डिजीज का उपचार लक्षणों पर निर्भर करता है। आमतौर पर इसके परीक्षण के लिए किसी तरह के लैब टेस्ट की जरूरत नहीं होती है। घरेलू इलाज के रूप में घर में बच्चे को ठंडे पेय पदार्थ, आइसक्रीम, दही और योगर्ट खिलाएं। बीमारी के दौरान परहेज के रूप में मसालेदार और खट्टे पदार्थों का सेवन की मनाही होती है। डॉक्टर बुखार के उपचार के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाएं लिखते हैं। वहीं, त्वचा पर पड़े निशानों और छालों को दूर करने के लिए कैलेमाइन लोशन की सहायता ली जा सकती है।

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